21 हजार 125 रुपए की मजदूरी में बनकर तैयार हो गई 13.69 लाख की पुलिया!
महिला इंजीनियर का कारनामा: दो लाख 1 हजार रुपए मजदूरी में होने थे खर्च
सिवनी। गोंडवाना समय।
जिले में मनरेगा योजना की धज्जियां उड़ाई जा रही है। खासकर जनपद पंचायत सिवनी की ग्राम पंचायतों में आरईएस विभाग की महिला उपयंत्री तृप्ती पटले ने मनरेगा से बनने वाली पुलियों में नियमों को तार-तार कर दिया है। पुलिया निर्माण में गुणवत्ता की पूरी तरह से धज्जियां उड़ा दी हैं। वहीं घालमेल करने के लिए मनरेगा योजना में नियम न होने के बावजूद जनपद पंचायत सिवनी के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत में निर्माण कार्य होने से पहले एडवांस में मूल्यांकन व भुगतान करवाकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाया गया है। जिसके दस्तावेज गोंडवाना समय के पास मौजूद है और जल्द उस मामले का पर्दाफाश किया जाएगा।चुप्पी साधकर बैठी हुई जनपद,जिला पंचायत की सीईओ एवं आरईएस विभाग के ईई मनरेगा की पुलियों की जांच करा लें तो महिला उपयंत्री वित्तीय अनियमित्ताओं के दायरे में आ सकती हैं और उन्हें ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के चक्कर में सलाखों के पीछे भी जाना पड़ सकता है। मनरेगा की पुलिया में घालमेल का एक मामला सामने आया है जहां दो लाख एक हजार रुपए मजदूरी की बजाय 21 हजार 125 रुपए में पुलिया का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है।
पुलिया निर्माण में खर्च होना था 2 लाख 1 हजार रुपए-
जनपद पंचायत सिवनी की ग्राम पंचायत नगझर के बलपुरा से कंडीपार रोड पर एएस नंबर 16 और टीएस 989 नंबर की पुलिया के पूर्ण निर्माण में तकरीबन 2 लाख एक हजार रुपए की राशि खर्च होनी थी लेकिन 21 हजार 125 रुपए मजदूरी खर्च पर ही पुलिया निर्माण कार्य पूरा हो गया है। मनरेगा की पोर्टल पर दर्ज जानकारी के मुताबिक पुलिया निर्माण की तकनीकी स्वीकृति (टीएस) 4 सिंतबर 2018 दी गई थी। जबकि एएस की स्वीकृति 7 सिंतबर 2018 को दी गई थी। पोर्टल में दर्ज जानकारी के मुताबिक पुलिया निर्माण कार्य में 21 हजार 125 रुपए ही मदजूरी भुगतान किया गया है। जबकि मटेरियल का एक रुपए भी भुगतान नहीं हुआ है। हालांकि ठेकेदार उपयंत्री पर निर्माण कार्य की शुरूआत से पहले ही एडवांस भुगतान के लिए दबाव बना रहा है लेकिन उपयंत्री ने भुगतान नहीं किया है।
घटिया निर्माण को देखकर उपयंत्री नहीं कर रही मूल्यांकन-
बलपुरा गांव से कंडीपार रोड पर बनाई गई पुलिया का घटिया काम देखकर जनपद पंचायत की उपयंत्री अपूर्वा जोशी द्वारा मूल्यांकन कार्य में रोक लगा दी और साफतौर पर कह दिया है कि वह जब तक रहेंगी मूल्यांकन नहीं करेंगी। उपयंत्री ने बताया कि ठेकेदार द्वारा पुलिया का निर्माण कार्य किया गया है। यह कार्य तत्कालीन महिला उपयंत्री तृप्ती पटले द्वारा ठेकेदार को दिलाया गया था। जिसके द्वारा घटिया काम किया गया है। उपयंत्री जोशी का कहना है कि उन्होने निर्माण कार्य के दौरान ठेकेदार को क्यूब टेस्टिंग कराने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने उसकी जांच नहीं कराई। काम की खराब गुणवत्ता को देखते हुए उन्होंने एई एसके जाटव को पुलिया का निरीक्षण करने के लिए कहा था। उपयंत्री अपूर्वा जोशी ने बताया कि निरीक्षण के बाद एई जाटव ने तत्काल काम रोकने के लिए कह दिया था लेकिन ठेकेदार ने मनमानी करते हुए काम चालू रखा।
तो क्या निकलेगा फर्जी मस्टरोल-
तकनीकी सूत्रों की मानें तो पुलिया के पूर्ण निर्माण में मजदूरी में तकरीबन 2 लाख 1 हजार रुपए खर्च होना था लेकिन खुदाई का कार्य किए हुए मजदूरों का ही 21 हजार 125 रुपए का भुगतान होना दर्शाया जा रहा है उसके बाद कोई भी मस्टरोल जनरेट नहीं हुआ है यानी निर्माण कार्य से साफ बयां हो रहा है कि ठेकेदार के माध्यम से ग्राम पंचायत नगझर द्वारा काम कराया गया है। सूत्रों की मानें तो मस्टरोल निर्माण कार्य की प्रगृतिरत रहते हुए जनरेट होते है लेकिन मौके पर गौर करें तो पुलिया का पूरा काम हो चुका है। ऐसे में मजदूरों की शेष बची हुई राशि 179875 रुपए के लिए अब कैसे मस्टरोल जनरेट होंगे यह सवाल खड़ा हो रहा है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि काम पूर्ण होने के बाद मस्टरोल जारी होना नियमानुसार फर्जी कहा जा सकता है।
पुलिया का फर्स धंसक गया,पिल्लर लातों से गिर रहे-
पुलिया का निर्माण कार्य घटिया क्वालिटी का है। उपयंत्री अपूर्वा जोशी खुद भी मान रही है। ग्रामीणों की मानें तो पुलिया के ऊपर किया गया कांक्रीट का फर्स धंसक गया है। वहीं पुलिया के ऊपर बनाई गई दीवार के कांक्रीट के पिल्लर लात मारते ही धराशाही हो रहे हैं। कई पिल्लर टूटे हुए पड़े हैं। इसके अलावा तीन पाइप चिटके हुए लगे हैं उनमें आई हुई दरारें अलग ही दिखाई दे रही है। ग्रामीणों की मानें तो पुलिया का बेस और दीवारों का निर्माण कार्य बड़ी मात्रा में ठेकेदार द्वारा डस्ट मिलाकर काम किया है। हाथों की उंगलियों से ही मटेरियल निकल रहा है जिसमें डस्ट बयां हो रही है।
मैं मूल्यांकन नहीं करूंगी
मैने निर्माण कार्य के दौरान मटेरियल टेस्टिंग कराने के लिए ठेकेदार को कहा था बोलने के बाद उन्होंने उसकी जांच नहीं करवाई। मनमर्जी से काम कर दिया गया। एई साहब को भी मौके का निरीक्षण करवाया था जिन्होंने काम बंद करवा दिया था लेकिन ठेकेदार ने दो दिन बाद फिर काम चालू कर दिया। मैं घटिया क्वालिटी की बनाई गई पुलिया का बिल्कुल मूल्यांकन नहीं करूंगी। वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस बात से अवगत करा दिया है।
अपूर्वा जोशी, उपयंत्री मनरेगा जनपद पंचायत सिवनी।