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जनता से लूट-खसोट, कर्मचारियों को शोषण कर रहे पेट्रोल पम्प संचालक

जनता से लूट-खसोट, कर्मचारियों को शोषण कर रहे पेट्रोल पम्प संचालक

आठ घंटे काम करवाकर दे रहे मात्र पांच हजार की सेलेरी

सिवनी। गोंडवाना समय। 
वाहनों में कम-डीजल पेट्रोल डालकर सेंध जनता को सेंध लगाने वाले पेट्रोल पम्प संचालक अपने कर्मचारियों का भी खूला शोषण कर रहे हैं। आठ घंटे तक काम करवाकर कर्मचारियों को पांच से छह हजार रुपए तक ही सेलरी दे रहे हैं। जबकि सूत्रों की मानें तो आईल कम्पनियों को 15 से 18 हजार रुपए तक सेलरी दर्शा रहे हैं। उद्योग-धंधे न होने के कारण बेरोजगार युवक मजबूरीवश काम कर रहे हैं। बताया जाता है कि जो कर्मचारी आवाज उठाता है उसको पेट्रोल पम्प से बाहर कर दिया जाता है।

जिले भर में एक दर्जन से ज्यादा संचालित है पेट्रोल पम्प-

शहर सहित सिवनी जिले भर में  रिलायंस कम्पनी और इंडियन आॅयल कम्पनी के एक दर्जन से ज्यादा पेट्रोल पम्प संचालित हैं। जिसमें आठ घंटे तक खड़े रहकर कर्मचारी वाहनों डीजल,पेट्रोल व टायरों में हवा भरते रहते हैं। ठंड,धूप हो या बारिश के बावजूद पम्प के किनारे खड़े रहकर अपना काम करते रहते हैं। कई कर्मचारी रात भर भी डयूटी करते रहते हैं लेकिन उन्हें पांच से छह हजार रुपए ही सेलरी के रूप में दिया जा रहा है। जबकि सूत्रों की मानें तो जब इंडियन आॅयल की टीम जांच करने  आती है तो कर्मचारियों की सेलरी 15 से 18 हजार रुपए तक दर्शाई जाती है।

और वापस ले लेते हैं आधी  सेलरी-

शहर के एक पेट्रोल पम्प संचालक कर्मचारियों की आधी सेलरी वापस ले लेता है। नाम न बताते हुए पेट्रोल पम्प में कार्यरत कर्मचारियों ने बताया कि उनके मालिक सभी कर्मचारियों को चैक के माध्यम से 10 हजार रुपए की सेलरी देते हैं। बैंक से राशि निकलने के बाद 4-4 हजार रुपए सभी कर्मचारियों से वापस ले लेते हैं। दरअसल इंडियन आॅयल कम्पनी के अधिकारियों को दिखाने के लिए चैक देकर दस हजार रुपए की सेलरी शो करते हैं ताकि उनको कोई शक न हो लेकिन हर महीने उनसे हाथों हाथ राशि ले ली जाती है। कर्मचारियों ने दर्द बयां करते हुए बताया कि मेंहगाई के इस दौर पर पांच से छह हजार रुपए से उनका घर बमुश्किल चलता है लेकिन जिले में कोई रोजगार न होने के कारण उन्हें मजबूरी में काम करना पड़ रहा है। कई पेट्रोल पम्प में तो कर्मचारियों का
पीएफ तक का लाभ नहीं दिया जा रहा है। यही नहीं कर्मचारियों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी पेट्रोल पम्प संचालक द्वारा कर्मचारियों का इंश्युरेंस तक का लाभ नही दिया जा रहा है जबकि पेट्रोल-डीजल ऐसे पदार्थ हैं कि कभी दुर्घटना हो जाए तो सबसे पहले कर्मचारी ही झुलसकर अपनी जान गवांएगे।

जनता से भी लूट-खसोट

पेट्रोल पम्प में जनता से भी लूट-खसोट का खेल चल रहा है। पेट्रोल पम्प संचालकों की रीडिंग मशीन सेट हैं। शुरूआत में ही जम्प मारकर रीडिंग शुरू होती है। कई बार तो ऐसा भी होता है कि वाहन चालक  न पम्प की मशीन से नजर हटाई तो फुर्ती से कर्मचारी पेट्रोल-डीजल में कटौती कर सेंध लगा देता है।

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