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लंगड़े, लाचार पड़े सासंद-विधायक के टैंकर, आग बुझ रही न प्यास

लंगड़े, लाचार पड़े सासंद-विधायक के टैंकर, आग बुझ रही न प्यास

ग्राम पंचायतों को दिए गए टैंकर नहीं आ रहे कोई काम

सिवनी। गोंडवाना समय। 
सासंद-विधायकों द्वारा बांटे गए पानी के टैंकर भीषण गर्मी में लंगड़े और लाचार बने हुए हैं। भीषण गर्मी के चलते गांव-गांव में पानी की किल्लत मची हुई है। वहीं दूसरी तरफ गेंहू की फसलों में आग लग रही है,लेकिन ग्राम पंचायतों को बांटे गए पानी के टैंकर किसी काम में नहीं आ रहे हैं। सिर्फ टैंकर के नाम पर शोपीस बने हुए हैं। जबकि हर दिन कहीं न कहीं आग लग रही है जो आग बुझाने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं लेकिन कोई काम नहीं आ रहे हैं। सबसे खास बात तो यह है कि जिला प्रशासन और जिला पंचायत भी टैंकरों की कोई सुध नहीं ले रहे हैं।

हर एक विधायक बांट रहे हर साल टैंकर-

जनता के टैक्स के पैसे को सरकार चुनकर आए हुए विधायक और सासंदों को विधायक और सासंद निधि के रूप में हर साल करोड़ों रुपए की राशि दी जाती है। जिसमें सासंद और विधायक हर साल मोटा कमिशन के चक्कर में पानी का टैंकर बनवाकर ग्राम पंचायतों को बांट रहे हैं लेकिन मैदानी हकीकत में इन टैंकरों की पड़ताल कर ली जाए तो अधिकांश ग्राम पंचायतों में किसी काम में नहीं आ रहे हैं। सिवनी जिले में तकरीबन 645 ग्राम पंचायतें मौजूद हैं। जिसमें सूत्रों की मानें तो लगभग आधी से ज्यादा ग्राम पंचायतों को पानी के टैंकर बांटे गए हैं लेकिन उनमें से कई टैंकर उपयोग ही नहीं हो पा रहे हैंं।

कोई ढाबा तो कोई खेत पर लंगड़े होकर खड़े-

सासंद और विधायक निधि के तहत करोड़ों रुपए के बांटे गए पानी के टैंकर या तो ढाबों के समीप खड़े हैं या फिर खेत पर खड़े कर दिए गए हैं। जिसमें खास बात यह है कि ये टैंकर लंगड़े और लाचार खड़े हैं। धूप और पानी में खड़े-खड़े ये टैंकरों के टायर सड़ गए हैं या फिर पंचर होकर खड़े है। इसकी बानगी मड़वा गांव में देखने को मिली है जहां ग्राम पंचायत को दिया गया टैंकर किसान के खेत पर लावारिस खड़ा हुआ है और उसके टायर खराब पड़े हुए हैं।

टैंकर दे दिए न टैÑक्टर न बजट-

पंचायतों कोे टैंकर तो दे दिए गए हैं लेकिन उन्हें लाने ले जाने के लिए ट्रैक्टर की आवश्यकता पड़ती है जो ग्राम पंचायतों को नहीं दिया गया है। इसके अलावा दूसरे के ट्रैक्टर किराये पर लेकर पानी की सप्लाई गांव में की जा सके उसके लिए भी कोई अतिरिक्त बजट ग्राम पंचायतों को नहीं दिया गय है। 14 वें वित्त के तहत जो राशि दी जाती है वह भी इतनी नहीं होती है कि ग्राम पंचायतों की मूलभूत सुविधाओं की भी पूर्ति नहीं हो पाती है ऐसे में पंचायत कोई ध्यान नहीं दे  रही है। लिहाजा टैंकर लाचार व लावारिस पड़े हुए हैंं। इस मामले को लेकर जब जिला पंचायत सीईओ श्रीमति मंजूषा विक्रांत राय से बातचीत की गई तो  उन्होंने पानी के टैंकरों की वस्तुस्थिति क्या उसे जानने की  बात कही है।

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