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जिला पंजीयक हर रजिस्ट्री में वसूल रहे दो-दो हजार

जिला पंजीयक हर रजिस्ट्री में वसूल रहे दो-दो हजार

उप पंजीयक हर दिन जेब भरकर ले जा रहे पैसे

सिवनी। गोंडवाना समय।
कलेक्ट्रेट परिसर और कलेक्टर कार्यालय के ठीक सामने हर दिन घूसघोरी का खेल चल रहा है। घूसखोरी का यह खेल कार्यालय जिला पंजीयक,उपपंजीयक कार्यालय में चल रहा है। यकीन न हो तो जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए चले जाएं मामला खुद नजर आ जाएगा। एक नंबर में रजिस्ट्री कराए जाने पर दो हजार रुपए और दो नंबर की रजिस्ट्री में 10 से 20 हजार रुपए तक का खेल चल रहा है।

एक रजिस्ट्री के दो हजार रुपए

शासन ने आॅनलाइन रजिस्ट्री की शुरूआत कर जमीन की रजिस्ट्री में पादर्शिता ला दिया है। उपपंजीयक कार्यालय में बैठे हुए भ्रष्ट अफसर अपनी अर्थलिप्सा के चलते जनता से लूट-खसोट कर रहे हैं। विवादित जमीन की रजिस्ट्री में तो 10 से 20 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। वहीं ईमानदारी से जमीन की रजिस्ट्री करा रहें लोगों से भी प्रति रजिस्ट्री के रूप में दो-दो हजार रुपए वसूल रहे हैं। हम बता दें कि यह राशि सीधे तौर पर कार्यालय में पदस्थ उपपंजीयक एसआर चौधरी और पी डोहले अपने हाथों से नहीं लेते है बल्कि अर्जीनविस और स्टाम्प वेंडर के हाथों से लेते हैं। बताया जाता है कि जब जमीन की रजिस्ट्री को लेकर आॅनलाइन प्रक्रिया होती है उसी दरमियान अर्जीनविस स्टाम्प वेंडर रजिस्ट्री की शुल्क के साथ तीन हजार रुपए की राशि ले लेते हैं। जिसमें एक हजार
रुपए की राशि अर्जीनविस स्टाम्प वेंडरों की लिखा-पढ़ी की होती है और दो हजार रुपए उप रजिस्ट्रार को दी जाती है। स्टाम्प वेंडर का काम करने वाले खुद यह बात बताते हैं।

लिखा-पड़ी में फजीर्वाड़ा फिर उपरजिस्ट्रार को दे-देते हैं जानकारी

अर्जीनविस स्टाम्प वेंडरों की और उप पंजीयकों की ऐसी तगड़ी सेटिंग है कि पहले तो पटवारी के विक्रय नामा ाके बावजूद क्रेता को झांसे में लेकर जमीन का रकबा कम व पक्का का कच्चा बताकर रजिस्ट्री शुल्क लेकर रजिस्ट्री करवा देते हैं फिर अर्जीनविस उप रजिस्ट्रार संबंधित व्यक्ति की जमीन की खामियां बता देता है। फिर क्या उपरजिस्ट्रार जमीन का भौतिक सत्यापन करने पहुंच जाता है और फिर क्रेता पर गलत जानकारी देने की बात करके जुमार्ना लगाकर राशि वसूल लिया जाता है। दो नंबर के खेल में पहले से ही मोटी रकम मिल जाने से जमीन का मौके पर कोई भौतिक सत्यापन नहीं किया जाता है।

दिन भर में 50 से 60 हजार रुपए जा रहे जेब में

जिला मुख्यालय पर स्थित पंजीयक उपपंजीयक कार्यालय में हर दिन तकरीबन 25 से 30 रजिस्ट्री हो रही है। एक रजिस्ट्री पर ईमानदारी से दो हजार रुपए भी लिए जा रहे हैं तो 50 से 60 हजार रुपए की राशि सीधे उपपंजीयकों की जेब में आ रही है। जबकि अतिरिक्त राशि लेने का कोई नियम नहीं है। यदि महीनें का आंकड़ा निकाले तो पंजीयक,उपपंजीयक लाखों रुपए हर महीने कमाकर अपनी जेब भर रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी चाहें तो इसके बारे में गोपनीय तरीके से और बारिकी से पता कर ले तो शायद खनिज विभाग,आबकारी विभाग के बाद ऐसा विभाग होगा जिसके पास मोटी रकम प्रतिदिन आ रही है।

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