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घर खरीददारों एवं बिल्डर्स की रक्षा का सशक्त माध्यम है रेरा एक्ट

घर खरीददारों एवं बिल्डर्स की रक्षा का सशक्त माध्यम है रेरा एक्ट 

एक मई को रेरा स्थापना दिवस पर विशेष

रेरा एक्ट की मंशा पक्षकारों को एक्ट के प्रति जागरूक किये बगैर पूरी नहीं हो सकती। रेरा एक्ट नागरिक केन्द्रित है, परन्तु यह बिल्डरों के विरूद्ध नहीं है। रियल एस्टेट सेक्टर की सफलता के लिए उससे जुड़े सभी घटकों द्वारा रेरा नियमों का पालन जरूरी है। एक्ट के समुचित क्रियान्वयन से आवासीय क्षेत्र में जो बड़ा बदलाव आयेगा, वह है बिल्डरों को ज्यादा खरीदार मिलने के साथ ही बाजार में मांग का बढ़ना।
प्रदेश में विगत दो वर्ष में रेरा एक्ट के क्रियान्वरयन के दौरान का अनुभव यह है कि आवंटियों की समस्या के त्वरित निराकरण के लिये रियल एस्टेट सेक्टर को और सशक्त बनाये जाने की जरूरत है। एक्ट को भी और सशक्त बनाये जाने से प्राधिकरण के आदेशों का त्वरित क्रियान्वनयन होकर आवंटियों को समय पर वास्तविक न्याय मिल सकेगा।

1 मई 2016 से अस्तित्व में आया रेरा एक्ट

रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 भारत की संसद का एक अधिनियम है। यह एक्ट घर खरीदारों के हितों की रक्षा करने के लिए और अचल संपत्ति उद्योग में अच्छे निवेश को बढ़ावा देने के लिए बना है। रेरा एक्ट 1 मई 2016 से अस्तित्व में आया है। रियल एस्टेट सेक्टर को व्यवस्थित तथा उपभोक्ताओं के हितों की दृष्टि से पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा एक्ट को 01 मई 2017 से पूरी तरह से लागू किया गया। प्रदेश में न सिर्फ रेरा प्राधिकरण का गठन हुआ, बल्कि वेब-पोर्टल भी समय पर क्रियान्वित किया गया। रेरा-रूल्स का भी प्रकाशन भी किया गया। मध्यप्रदेश देश का प्रथम राज्य है जहाँ भू-संपदा एक्ट का विस्तार सभी क्षेत्रों में किया गया है। प्रदेश में रेरा आज आदर्श रूप में है।

क्या है रेरा एक्ट का उद्देश्य

यह एक्ट अचल संपत्ति क्षेत्र के लिए एक नियामक कानून की आवश्यकता को देखते हुए बनाया गया है। अचल संपत्ति क्षेत्र हाल के वर्षों में उगा हुआ है लेकिन उपभोक्ता संरक्षण के परिप्रेक्ष्य से बड़े पैमाने पर अनियमित है।
व्यावसायिकता और मानकीकरण की अनुपस्थिति से रेरा एक्ट के पूर्व अचल संपत्ति क्षेत्र का समग्र विकास प्रभावित रहा है। रेरा एक्ट का उद्देश्य आवंटियों के प्रति उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना और उनके हितों की रक्षा करना है। साथ ही पारदर्शिता को लागू करना, धोखाधड़ी और देरी को कम करना, व्यावसायिकता और पैन इंडिया मानकीकरण पेश करने, प्रमोटर और आवंटन के बीच सूचना की सममितता स्थापित करना है। प्रमोटर और आवंटियों दोनों पर कुछ जिÞम्मेदारियाँ लगाना और अनुबंधों को लागू करने के लिए नियामक निरीक्षण तंत्र तथा फास्ट-ट्रेक विवाद समाधान तंत्र  को स्थापित करना है। साथ ही इस क्षेत्र में अच्छे प्रशासन को बढ़ावा देना भी है जो बदले में निवेशकों में आत्म-विश्वास पैदा करेगा। रेरा एक्ट का एक मकसद घर ग्राहकों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ाना भी है। एक्ट बेहतर जवाबदेही और पारदर्शिता लाकर रियल एस्टेट की खरीद को आसान बनाता है। यह फ्लैटों, अपार्टमेन्ट आदि की खरीद के लिए एक एकीकृत कानूनी व्यवस्था मुहैया कराकर पूरे देश में उसका मानकीकरण करता है। समय पर घर, देरी पर मुआवजा, प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी, फ्लेट कारपेट एरिया के आधार पर बिक्री, बिक्री के बाद आफ्टर सेल जैसे प्रावधानों से आवंटी को सुविधा हुई है। प्रकारांतर से मांग बढ़ने से रियल इस्टेट को मंदी से उबरने में भी मदद मिली है।

मध्यप्रदेश में रेरा ने सत्तर प्रतिशत मामलों का निपटारा किया : रेरा अध्यक्ष अन्टोनी डिसा

मध्यप्रदेश में रेरा एक्ट के अंतर्गत रेरा की स्थापना के बाद रियल स्टेट के क्षेत्र में एक नया परिवर्तन आया है। रेरा को मिली शिकायतों में से सत्तर प्रतिशत का निपटारा हो चुका है, बाकी प्रगति पर हैं। इतनी तेजी से शिकायतें निपटाने वाला यह देश का पहला रेरा है। शिकायतों की संख्या महाराष्ट्र की सबसे ज्यादा है, लेकिन निपटारे में मध्यप्रदेश सर्वश्रेष्ठ है। नब्बे प्रतिशत निर्णय उपभोक्ता के पक्ष में ही हुए हैं। लगभग ढाई सौ प्रकरण समझौते में निपटाए गये है। अधिकांश राज्यों में रेरा राजधानी में ही स्थित है। हमारी तीन सर्किट बैंच इन्दौर, जबलपुर और ग्वालियर है। हम तीन सदस्य हैं, सबकी सहमति से ही निर्णय दिया जाता है। राज्य रेरा की अपनी वेबसाइट है, जिस पर सारी सारी जानकारी उपलब्ध है। कोई भी देख सकता है। भोपाल का कोर्ट रूम काँच का बनाया गया है, ताकि कोई भी कार्यवाही देख सके।
रेरा का मकसद घर ग्राहकों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ाना है। पहले  रियल एस्टेट की लेनदेन एकतरफा और ज्यादातर डेवलपर्स के हक में थीं। रेरा का मकसद मुख्य बाजार में
विक्रेता और संपत्ति के खरीददार के बीच न्यायसंगत और सही लेनदेन तय करना है। रेरा भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री का पहला रेगुलेटर है। मध्यप्रदेश में इसकी स्थापना तत्काल कर दी गई थी। मेरी समझ में इस कानून का सबसे सकारात्मक पहलू है कि यह फ्लैटों, अपार्टमेंट आदि की खरीद के लिए एक एकीकृत कानूनी व्यवस्था मुहैया कराता है। पूरे देश में उसका मानकीकरण करता है। आवास या कालोनी बनाने के पहले निमार्ता जो विज्ञापन देता है, जो सुविधाएं बताता है, यदि बनने के बाद वो नहीं देता, तो रेरा अपना महत्व बताता है।  इसके लिये रेरा के पास न्यायिक अधिकार हैं। हम जो निर्णय सुनाते हैं, उसकी कानूनी वैधता होती है। पंजीयन परियोजनाओं में बिल्डर को हर तीन माहों में विस्तृत प्रतिवेदन फोटोग्राफ सहित प्रस्तुत करना है। प्रोजेक्ट में कितना काम पूरा हुआ, इसकी जानकारी प्रमोटर्स को नियमित अंतराल पर नियामक को देनी होती। अधिनियम किसी चल रही परियोजना व भविष्य में क्रियान्वित की जाने वाली परियोजना के बीच कोई भेद नहीं करता। अर्थात, वर्तमान में चल रहीं और अधूरी परियोजनाओं पर भी यह लागू होगा। पूर्ण परियोजनाओं पर भी पाँच साल तक डिफेक्ट गांरटी लागू है। शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र, सभी परियोजनाओं का पंजीकरण रेरा में आवश्यक है। प्राधिकरण को यह अधिकार है कि वह योजना क्षेत्र से बाहर की किसी परियोजना के संप्रवर्तक को भी परियोजना का पंजीकरण करवाने का आदेश दे सकता है।  धारा 7 के अनुसार, प्राधिकरण को किसी परियोजना का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार भी है परंतु ऐसी कार्यवाही केवल कोई अन्य रास्ता न बचने पर ही की जाएगी। अधिनियम उन सभी संस्थाओं (सार्वजनिक एवं निजी) पर लागू होता है, जो आमजनों को विक्रय के लिए भू-संपदा परियोजनाएँ विकसित करती हैं। सामान्य क्षेत्र में खुला पार्किंग क्षेत्र शामिल है, अत: इसे आवंटियों को विक्रय नहीं किया जा सकता। यहाँ यह जानना भी जरूरी है कि अधिभोग प्रमाण-पत्र से आशय यह है कि संबंधित भवन में जल, स्वच्छता और बिजली की सुविधाएँ उपलब्ध हैं और उसमें निवास किया जा सकता है। कार्य पूरा होने संबंधी प्रमाण-पत्र से आशय यह है कि परियोजना का सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित रेखांक, अभिन्यास रेखांक और विर्निदेशों के अनुसार विकास किया गया है और वह पूर्ण हो चुका है।

रेरा एक्ट में आवंटियों को अधिकार

रेरा एक्ट के अंतर्गत आवंटियों के साथ जो भी अनुबंध ठेकेदार, बिल्डर्स/प्रमोटर्स करेंगे, उसका पालन उन्हें करना है। बिल्डर्स प्रमोटर्स को अपने निर्माण कार्य की 05 वर्ष की गारंटी लेने के साथ ही उन्हें समय पर आवंटियों को डिलीवरी देना है। प्रावधान का पालन नहीं करने पर आवंटी उनसे ब्याज सहित भुगतान तथा मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। विज्ञापन और ब्रोशर में जो-जो दावे किये जाऐंगे, उनकी पूर्ति बिल्डर्स को करना होती है। आवंटी से कार्य पूर्ण होने के मान से ही राशि ली जा सकती है। विलंब की स्थिति में ,आवंटी को योजना से बाहर आने तथा प्रदत्त राशि को ब्याज सहित प्राप्त करने का अधिकार है। बिल्डर को आंवटियों से प्राप्त राशि का 70 प्रतिशत प्रोजेक्ट के लिए संघारित खाते में जमा करना है। आवंटियों को, केवल कार्पेट एरिया का ही भुगतान करना है, न कि पूर्ण एरिया का। बिल्डर को प्रोजेक्ट की सम्पूर्ण जानकारी, आंवटियों को प्रकट करनी है। आवंटिती आवास न मिलने सहित अन्य शिकायतें प्राधिकरण की वेबसाइट ६६६.१ी१ं.ेस्र.ॅङ्म५.्रल्ल पर आॅनलाईन दर्ज करा सकते हैं। रेरा प्राधिकरण द्वारा पक्षकारों की सुविधा की दृष्टि से प्रदेश में भोपाल के अलावा इंदौर, ग्वालियर एवं जबलपुर में भी प्रति माह सर्किट केम्प लगाया जाता हैं। प्राधिकरण द्वारा रेरा मुख्यालय भोपाल में प्रतिदिन शिकायतों की सुनवाई भी की जा रही है। अनेक शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है। अभी तक करीब 2165 प्रोजेक्ट का और 533 एजेन्ट का पंजीयन किया गया है। प्राधिकरण द्वारा करीब 1800 शिकायतों का निराकरण किया जा चुका हैं। एक्ट के क्रियान्वयन की चुनौतियों पर भी ध्यान दिया गया हैं। इस अधिनियम को बिल्डरों, प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के खिलाफ शिकायतों में वृद्धि के अनुसार बनाया गया हैं। इन शिकायतों में मुख्य रूप से खरीदार के लिए घर कब्जे में देरी, समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भी प्रमोटरों का गैर जिम्मेदराना  व्यवहार और कई तरह की समस्याएँ हैं। रेरा एक सरकारी निकाय है, जिसका एकमात्र उद्देश्य खरीदारों के हितों की रक्षा के साथ ही प्रमोटरों और रियल एस्टेट एजेंटों के लिए एक मार्ग तैयार करना है, जिससे उन्हें बेहतर सेवाओं के साथ आगे आने का मौका मिल सके।

नागरिक केन्द्रित तथा राहत वाला एक्ट

यह समझने और जानने लायक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि रेरा एक्ट नागरिक केद्रित तो है परन्तु यह बिल्डरों के विरूद्ध नहीं हैं। एक्ट का उद्देश्य सुधारात्मक ज्यादा है न कि प्रतिबंधात्मक। एक्ट के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश प्रारंभ से ही अग्रणी राज्य रहा हैं और यहाँ पर रेरा प्राधिकरण द्वारा आवंटियों को लाभ दिलाने के लिए सर्वाधिक प्रयास किए गए हैं। इससे जो बदलाव आएगा उससे बिल्डरों को ज्यादा खरीदार मिलने के साथ ही बाजार में मांग बढेगी। खरीदार अपनी गाढी कमाई से पसंद का आवास समय पर प्राप्त कर सकेंगे। रियल एस्टेट भारतीय अर्थ-व्यवस्था में योगदान देने वाला द्वितीय सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटक है। सामाजिक जरूरत पूरी करने होने के साथ-साथ इससे अर्थ-व्यवस्था को भी बल मिलता है। रियल स्टेट सेक्टर की सफलता के लिये इससे जुडे़ सभी घटकों द्वारा रेरा के नियमों का पालन जरूरी हैं।

चार्टर्ड एकाउटेंट की भूमिका

प्रोजेक्ट की प्रगति की मानिटरिंग क्वार्टरली रिटर्न से देखी जाती है, जो सीए द्वारा सत्यापित होगा। रेरा प्राधिकरण द्वारा संप्रवर्तक रिपोर्ट के लिये चार्टर्ड एकाउटेंट के सुझावों को स्वीकार कर नवीन फॉर्मेट निर्धारित किया गया है। प्राधिकरण चार्टर्ड एकाउटेंट को रेरा एक्ट के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रमुख सहयोगी मानता है, और उनके साथ निरंतर संवाद बनाता हैं। चार्टर्ड एकाउटेंट रेरा और संप्रवर्तक के बीच महत्वपूर्ण सेतु है। अपने दायित्वों के निर्वहन से उनके सामाजिक दायित्व तथा व्यावसायिक जरूरत दोनों पूरी होती है। धारा 4(2) के अंतर्गत संप्रवर्तक के एकाउंट को सर्टिफाइड करते वक्त देखा जाना है कि किसी प्रोजेक्ट के लिए प्राप्त की गई राशि उसी प्रोजेक्ट के कार्य में खर्च की गई है तथा इस्क्रो एकाउंट से आहरण उसी अनुपात में किया है, जितना कार्य मौके पर हुआ है। सर्टिफिकेट जारी करने के पूर्व पर्याप्त जानकारी ली जाना चाहिए। जहां संदेह हो, वहाँ रिपोर्ट में, उसे अंकित करना चाहिये।
 संप्रवर्तक द्वारा प्रोजेक्ट के एकाउंट में से आहरण के लिए सी.ए. का सर्टिफिकेशन जरूरी है। प्रतिवर्ष संप्रवर्तक को अपने लेखों का चार्टर्ड एकाउटेंट से आडिट कराना जरूरी है। आडिट रिपोर्ट में आईसीएआई के मानकों का
पालन किया जाना है। प्रोजेक्ट पंजीयन, क्वार्टरली रिटर्न, प्रोजेक्ट वृद्धि, प्रोजेक्ट वापसी, इस्क्रो-एकाउंट से राशि आहरण, प्रोजेक्ट पूर्णता के 6 माह में आडिट जैसे दायित्वों के लिए चार्टर्ड एकाउटेंट अनुदेयक की भूमिका में है।
भारतीय रियल इस्टेट में विभिन्न तकनीकी नवाचार हो रहे हैं। प्रापर्टी सर्च, निर्माण तथा अनुबंध तैयारी से संबंधित इन सभी नवाचारों का अधिकाधिक फायदा उठाने पर रियल इस्टेट की दिशा तय होगी। परिवर्तन संप्रवर्तक के लिये तो चुनौतीपूर्ण है ही इस कार्य में चार्टर्ड एकाउटेंट की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है। आज के दौर में चार्टर्ड एकाउंटेंट प्रोफेशन करियर के रूप में काफी लोकप्रिय हैं। इनसॉलवेंसी बैंकक्रप्टसी एक्ट से हटकर, रेरा एक्ट में सी.ए.को प्रेक्टिस करने की पूरी आजादी हैं।

अपंजीकृत परियोजनाओं के लिए पुरस्कार योजना 

रियल एस्टेट के क्षेत्र में रेरा में अपंजीकृत अपूर्ण या प्रगतिरत परियोजनाओं के बारे में जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से एक पुरस्कार योजना 31 मार्च 2019 तक लागू की गई थी। योजना में यदि कोई प्रतिभागी रेरा में अ
पंजीकृत किसी अपूर्ण परियोजना की जानकारी प्राधिकरण को उपलब्ध कराता है तो उसे 1000 रुपए का पुरस्कार देने का प्रावधान रखा गया था। रेरा एक्ट के 01 मई 2017 को लागू होने के बाद रियल एस्टेट के क्षेत्र में सभी तरह की अपूर्ण प्रगतिरत् तथा नई परियोजनाओं, जिनमें रहवासी कालोनी शॉपिंग काम्पलेक्स शामिल है, का रेरा में पंजीयन कराया जाना अनिवार्य हो चुका है।

लेखक-ताहिर अली
जनसूचना सलाहकार
म.प्र. भू-संपदा प्राधिकरण

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