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बालाघाट के भाजपाईयों को सिवनी से है तकलीफ या ढाल सिंह का है विरोध

बालाघाट के भाजपाईयों को सिवनी से है तकलीफ या ढाल सिंह का है विरोध 

बालाघाट से उम्मीदवार बनने पर सिवनी के भाजपाईयों ने कभी नहीं किया विरोध

पर बालाघाट के भाजपाई वापस जाओ के नारे लगा रहे आखिर क्यों 

भाजपाईयों की संस्कृति हो रही उजागर तो इसलिये उपेक्षा का शिकार होता रहा है सिवनी 

सिवनी। गोंडवाना समय। 
बालाघाट जिले से भारतीय जनता पार्टी के सासंद बनते रहे है और वहां के भाजपाई नेताओं को जनप्रतिनिधि बनाने में सिवनी जिले के भाजपाईयों ने भी कंधा से कंधा मिलाकर साथ दिया इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन जैसे ही सिवनी जिले से भाजपा ने पूर्व मंत्री वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ ढाल सिंह बिसेन को अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया तो बालाघाट के भाजपा कार्यकर्ता अपनी पार्टी के रीति-नीति संस्कार को दरकिनार करते हुये जिस तरह के नारे भाजपा उम्मीदवार डॉ ढाल सिंह बिसेन के लिये वापस जाओ के नारे लगाते हुये अपनी ही पार्टी के पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक के लिये जो शब्दों का उपयोग किया है वह कांग्रेस के लिये मुद्दा बनाने के लिये काफी है और कांग्रेस ने इस मामले में भरपूर मजा आनंद लेकर गली गली चौराहे तक चर्चा में लाया ही है सोशल मीडिया के माध्यम से सिवनी से दिल्ली तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है ।

सिवनी जिले से सांसद के लिये उम्मीदवार घोषित होने के बाद बालाघाट के भाजपाईयों के द्वारा विरोध किये जाने से भविष्य को लेकर सिवनी जिले की जनता और मतदाता आकलन लगाने लगे है कि सिवनी जिले से भाजपा सांसद का जीतना अब संदेह के घेरे में तो है ही साथ साथ में भाजपा के लिये सांसद की एक सीट खतरे में दिखाई दे रही है । जबकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व एक एक सीट में अपनी जीत का दावा ठोंक रहा है लेकिन जिस तरह से बालाघाट जिले के भाजपाई और सांसद बोध सिंह भगत के समर्थक खुलेआम विरोध दर्ज करा रहे है वह भाजपा के लिये चुनावी परिणाम को लेकर ठीक संकेत नहीं है । बालाघाट में विरोध होने के बाद दबी जुबान से सिवनी जिले के वे भाजपाई जो अपने समर्थक को सांसद का उम्मीदवार बनाना चाहते थे उनके हौंसले बुलंद होने लगे है और इसका उदाहरण सोशल मीडिया में देखने को मिला है जो पूर्व मंत्री व डॉ ढाल सिंह बिसेन को उम्मीदवार बनाये जाने को लेकर सवालिया निशान खड़े कर रहे है हालांकि इनकी संख्या ज्यादा नहीं है लेकिन दबी जुबान को बोलने को बढ़ावा बालाघाट के भाजपाईयों के द्वारा और सांसद बोध सिंह के समर्थकों के द्वारा दिया गया है इसमें कोई संदेह नहीं है ।

भाजपाईयों को उकसा रहे बोध सिंह भगत 

सिवनी जिला जो कभी संसदीय क्षेत्र हुआ करता था परिसीमन के बाद दो दो सीटों में मण्डला व बालाघाट लोकसभा क्षेत्र में विभाजित कर दिया गया है उसके बाद से सिवनी जिला विकास को लेकर हमेशा उपेक्षा का शिकार होता रहा है । बालाघाट के सांसद बोध सिंह भगत ने सिवनी जिले के जिन गांवों को गोद लिया वे कुपोषण के शिकार हो गये अर्थात विकास से मरहूम हो गये और आकंठ भ्रष्टाचार की गाथाओं में इतिहास बनाने में अपनी भूमिका निभाया है । इसके साथ ही चाहे फोरलेन, रेल लॉइन सहित अन्य जनहित के विकास के मुद्दों पर सांसद बोध सिंह भगत ने सिवनी जिले के मामले में ध्यान नहीं दिया यही कारण रहा कि विकास के मामले में सिवनी जिला उपेक्षा का शिकार होता रहा । अब यदि भाजपा ने सिवनी जिले से उम्मीदवार बनाया है तो उसको लेकर भी सांसद बोध सिंह भगत और उनके समर्थक विरोध कर उपेक्षित करने का खुलेआम काम कर रहे है ।

कांग्रेस को मिल सकता है इसका फायदा

बालाघाट जिले से मधु भगत को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है और बालाघाट जिले में 6 विधानसभा सीट है । जिस तरह से भाजपाई बालाघाट में सिवनी जिले से भाजपा के उम्मीदवार घोषित होने के बाद विरोध किये जाने से इसका फायदा कांगे्रस के उम्मीदवार को मिलने की उम्मीद से नकारा नहीं जा सकता है । कांग्रेस भाजपा की अतंर्कलह का पूरा फायदा उठाने का प्रयास करने में जुट गई है और बालाघाट के होने के कारण मधु भगत को इसका फायदा मिल सकता है साथ कांगे्रस की झोली में भाजपा की संसदीय सीट छिनकर जा सकती है ।
 

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