सीई ने सर्विस और नॉन सर्विस तट की चौड़ाई घटाकर ठेकेदार को पहुंचा सात करोड़ का फायदा
ठेकेदार से सांठगांठ कर अफसर सरकार को लगा रहे करोड़ों का चूना
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के वचन कि न खुद खाऊंगा और न ही किसी को खाने दुंगा। प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार के शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जीरो टालरेंस की बात कर भ्रष्टाचार को मिटाने का वादा किया था लेकिन जिस तरीके से सिवनी जिले ठेकेदारों और पेंच परियोजना के जिम्मेदार अफसरों की मिलीभगत से पेंच व्यपवर्तन योजना की नहर निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है उससे भाजपा की केन्द्र सरकार और प्रदेश की कांग्रेस सरकार के दावों की धज्जियां बिखेरकर रख दी है।
सिवनी। गोंडवाना समय।
राज में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना पेंच नहर निर्माण के दौरान जल संसाधन विभाग, ठेकेदार और सिवनी व छिंदवाड़ा जिले के जनप्रतिनिधि भाजपा के कार्यकाल के साथ अब कांग्रेस के राज में भी जमकर खा रहे हैं और डकार तक नहीं ले रहे हैं। कैग की रिपोर्ट ने उजागर किया है कि जल संसाधन विभाग के सीई ने अपनी जेब भरने और ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिये सर्विस और नॉन सर्विस तट की चौड़ाई को छह मीटर और डेढ़ मीटर घटाकर निर्धारित न्यूनतम ऊपरी चौड़ाई से कम कर जहां किसानों के खेतों में पानी की कटौती कर दी। किसानों के खेतों में पानी कम पहुंचेगा। वहीं चौड़ाई कम होने से इसका फायदा टर्नकी ठेकेदार को 7.09 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया है। जिसमें जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने सरकार के करोड़ों रुपए को मिल बांटकर बंदरबांट कर अपनी जेब भर लिया है। 7.09 करोड़ रुपए की राशि को ठेकेदार से वसूली किया जाना था लेकिन जल संसाधन विभाग के सीई. ने अपना जेब भरने के लिये ऐसा नहीं किया।
जनप्रतिनिधियों की मौन स्वीकृति और प्रशासनिक अफसरों की चुप्पी से भ्रष्टाचार
पेंच नहर निर्माण के दौरान सिवनी जिले के जनप्रतिनिधियों की मौन स्वीकृति और शिकवा शिकायत के बाद प्रशासनिक अफसरों द्वारा कार्यवाही को अंजाम न देने से पेंच परियोजना के निर्माण कार्यो में जमकर भ्रष्टचार बढ़ते जा रहा है। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने न केवल अपनी जेब भरने के लिये अपनी आंखों के सामने तकनीकि मापदण्डों की धज्जियां उड़वाई हैं बल्कि ठेकेदार को लाभ पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। ठेकेदार और अफसर तो घटिया काम करके चले जाएंगे लेकिन भविष्य में इसका पूरा खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा।
विधायक और सासंद ने नहीं उठाई आवाज
केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद पेंच नहर में हुए भ्रष्टाचार पर न तो सिवनी-बालाघाट के सासंद बोधसिंह भगत ने आवाज उठाई और न ही सिवनी विधानसभा के विधायक दिनेश राय मुनमुन ने कोई आवाज उठाई। अब इसके पीछे क्या कारण है ये तो सांसद बोध सिंह भगत और वर्तमान विधायक दिनेश राय मुनमुन ही जानते है । पेंच नहर के घटिया निर्माण को लेकर गोंडवाना समय के द्वारा बीते एक वर्ष से समाचार का प्रकाशन किया जा रहा है जिस पर न तो शासन ने और न ही प्रशासन ने संज्ञान लिया। वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी कोई ध्यान नहीं दिया। लिहाजा जनता से वोट लेकर चुने हुए इन प्रतिनधियों की चुप्पी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा।
कम चौड़ाई में सर्विस एवं नॉन-सर्विस तटों का निष्पादन
हम आपको बता दे कि कैग की रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है वह चौकाने वाला है। जिसमें रिपोर्ट ने पेंच नहर के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की जेब भरने की पोल तो खोल ही रही है साथ में ठेकेदार को मिले अदेय लाभ का भी प्रमाण दे रहा है। कैग की रिपोर्ट में टर्नकी अनुबंध के तहत नहर प्रणाली में सर्विस सड़कों/निरीक्षण पथ का निर्माण निविदा दस्तावेजों के साथ संलग्न नहर मापदण्डों के अनुसार होगा । ठेके के साथ संलग्न वितरण प्रणाली के लिये रूपांकन मानदण्ड-भारतीय मानक (आई.एस.) संहिताओं के अनुसार प्रावधानित करता है कि जहां पर नहर का प्रवाह 15 घन मीटर प्रति सेकेण्ड (क्यूमेक) से 30 क्यूमेक हो (आई.एस. कोड 7112-1973) वहां सर्विस एवं नॉन सर्विस तटों की न्यूनतम ऊपरी चौड़ाई क्रमश: सात मीटर और 3.5 मीटर होनी चाहिये । पेंच नहर निर्माण के दौरान कछारी (एलुवियल) मिट्टी में बिना लाईनिंग वाली नहरों के क्रॉस सेक्शन के रूपाकंन के लिये आई.एस.कोड: 1712-1973 था । सिवनी शाखा नहर लाइनिंग सहित नहर थी और इसलिये नहर में आई.एस. कोड: 10430-2000 के मानदंड लागू थे जो कि जहां नहर का प्रवाह 10 घन मीटर प्रति सेकेण्ड से 30 घन मीटर प्रति सेकेण्ड है वहां सर्विस तटों के लिये पांच मीटर और नॉन-सर्विस तटों के लिये 4 मीटर की ऊपरी तटों की चौड़ाई प्रावधानित करते है । वहीं सिवनी शाखा नहर का प्रवाह 18.745 घन मीटर प्रति सेकेण्ड था तदनुसार ठेकेदार ने आई.एस. कोड 7112-1973 के अनुसार 7 मीटर सर्विस तट ओर 3.5 मीटर नॉन सर्विस तट के साथ नहर के लिये आरेखन प्रस्तुत किया । सबसे विशेष बात तो यह है कि ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत किये रूपांकन की स्वीकृति के दौरान सी.ई. ने बिना कोई कारण के ही सर्विस और नॉन-सर्विस तट की चौड़ाई को 6 मीटर और 1.5 मीटर घटा दिया । जिससे नॉन सर्विस तट क लिये अनुमोदित आरेखन आई.एस. कोड 10430-2000 के अंतर्गत निर्धारित न्यून्तम ऊपरी चौड़ाई से भी कम था । इसका सीधा लाभ ठेकेदार को पहुंचाने में जल संसाध विभाग के अधिकारियों की थी और सी.ई. के संरक्षण के चलते नहर कार्य तट की कम की गई ऊपरी चौड़ाई कर बना दिया गया । जिससे टर्नकी ठेकेदार को 28.5 प्रतिशत कम किये गये मिट्टी के कार्य की राशि 7.09 करोड़ को भुगतान में से समानुपातिक रूप से कम नहीं किया गया था । इसका लाभ ठेकेदार को 7.09 करोड़ रूपये का हुआ अब इसमें से सी.ई. की जेब में कितना गया और सिवनी जिले के जनप्रतिनिधियों को कितना कमीशन मिला इसके बारे में ये ही जानते होंगे कुल मिलाकर सबने मिल बांटकर खाया है ।
डब्ल्यू.आरडी का जवाब और सीई का बहाना ने पहुंचाया ठेकेदार को लाभ-
सीई ने अपनी जेब भरने और ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिये यह तर्क दिया था कि डब्ल्यू.आर.डी. ने बताया (अप्रैल 2018) कि नहर के तटों की ऊपरी तटों की ऊपरी चौड़ाई, भूमि अधिग्रहण को कम करने के लिये घटा दी गई थी । इससे किसानों की 25.79 हेक्टेयर जमीन बची, जिसके परिणामस्वरूप भूमि अधिग्रहण पर 3.86 करोड़ की बचत हुई। तट की कम ऊपरी चौड़ाई से तटों के स्थायित्व पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा और नहर प्रवाह मापदण्डों में भी कोई बदलाव नहीं था । जबकि डब्ल्यू आर डी के द्वारा दिया गया जवाब अभिलेखा द्वारा समर्थित नहीं था । ठेकेदार को भुगतान में सामानुपातिक कमी किये बिना तटों की चौड़ाई में की गई कमी के परिणाम स्वरूप मिट्टी के कार्य के लिये 7.09 करोड़ का अधिक भुगतान हुआ जबकि यह राशि ठेकेदार से वसूल किया जाना चाहिये था। आगे नहर के तटों का पा्रथमिक उद्देश्य पानी को रोके रखना है और नहर के रूपांकित प्रवाह को ध्यान में रखते हुये ही आई.एस. कोड में नहर तटों की न्यूनतम ऊपरी चौड़ाई निर्धारित की गई है। इसलिये नहर तटों की चौड़ाई के लिये निर्धारित विशिष्टियों का पालन करने में सीई की विफलता, तटों के स्थायित्व को प्रभावित करेगी जिसका जिम्मेदार कैग की रिपोर्ट ने खुद सीई को ठहराया है।