पुलिया में भ्रष्टाचार: तीन रो की पुलिया,दो का निर्माण 9 लाख खर्च
पंचायत,तकनीकी अमला और ठेकेदार की तिकड़ी का खेल
सिवनी। गोंडवाना समय।
जनपद पंचायत सिवनी में जड़े जमाकर पंचायतों में ठेकेदारी कर रहे ठेकेदार तकनीकी अमला और पंचायत के सरपंच-सचिव को झांसे में लेकर जमकर भ्रष्टाचार कर खुद का फायदा और सरकार के खजाने को चपत लगा रहे हैं। इसका उदाहरण मुख्यालय से महज 10-12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खामखरेली ग्राम पंचायत के डुंगरिया गांव में देखा जा सकता है। ग्राम पंचायत और ठेकेदार ने स्वीकृति से हटकर और घटिया निर्माण कर 13 लाख 58 हजार रुपए में से 9.7 लाख रुपए की राशि निकल गई है। पुलिया भी ऐसी बनाई गई है कि बारिश के दौरान उसका पानी कहा निकलेगा यह कहा नहीं जा सकता है।
तीन रो की स्वीकृति दो रो की बनाई गई पुलिया-
खामखरेली पंचायत के ग्राम डुंगरिया गांव में आदिवासी पंच के घर से कुछ ही दूरी पर 13.58 लाख रुपए की लागत की डुुंगरिया पहुंच मार्ग के नाम पर पुलिया स्वीकृत की गई है जिसका टीएस नंबर 993 है। तकनीकी स्वीकृति के अनुसार तीन रो की पुलिया बननी थी,लेकिन स्थल पर गौर फरमाऐं तो दो रो की पुलिया बनाई गई है। शेष पाइप पुलिया में क्यों नहीं लगाए गए इस पर तकनीकी स्वीकृति देने वाले और सुपरविजन करने वाला अमला गोलमोल जवाब दे रहा है।
खाते से निकाले 9.7 लाख रुपए की राशि-
पुलिया का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है और कत्तल पत्थर और बोल्डर व डस्ट मिलाकर तैयार किया गया कांक्रीट से पुलिया की दीवार खड़ी कर दी गई है। हाथों से ही मटेरियल निकल रहा है जिसका बाद में सीमेंट को घोल पिलाकर थिगड़ा लगाया गया है। पाइप के पास थिगड़ा का नजारा अलग ही दिखाई दे रहा है। पुलिया के ऊपर कांक्रीट का फर्स भी नहीं किया गया है। मुरम डालकर खाते से 9.7 लाख रुपए निकाल लिए गए हैं। उपयंत्री ने बकायदा मुल्यांकन भी कर दिया है। जबकि ग्रामीण बताते हैं कि अब तक पुलिया के निर्माण कार्य में मात्र ढाई से तीन लाख रुपए ही खर्च हुए होंगे।
बेस में भर दिए गए बोल्डर पत्थर-
डुंगरिया गांव के अंदर 13.58 लाख रुपए की लागत से बनाई गई दो रो की सीसी पुलिया में गांव के पंच व ग्रामीणों की मानें तो क्रेशर से निकले हुए पत्थर और बोल्डर भर दिए गए हैं। वहीं डस्ट से दीवार का निर्माण कर दिया गया है। वहीं पुलिया के ऊपर कांक्रीट भी नहीं किया गया है। पुलिया के घटिया निर्माण कार्य के चलते ग्रामीणों में गुस्सा भी है। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले जब पुलिया के ऊपर जेसीबी से मुरम फैलाई जा रही थी तब गांव के लोगों ने जेसीबी को बाहर निकलवा दिया था। ग्रामीणों की मानें तो पुलिया ऐसी बनाई गई है कि बारिश के दौरान उसका पानी पुलिया से निकासी होने की बजाय खेत में भर रह सकता है। इंजीनियर ऊषा आम्रवंशी का साफ कहना है कि अधिकारी और ठेकेदार द्वारा डरा धमकाकर उससे मुल्याकंन कार्य कराया गया है। इंजीनियर भी मान रही हैं कि घटिया काम किया गया है।
आरईएस विभाग के ईई और सीईओ क्यों है चुप-
तकनीकी स्वीकृति के विपरीत और घटिया क्वालिटी की पुलिया बनाए जाने के मामले में आरईएस विभाग के ईई और जनपद पंचायत और जिला पंचायत की सीईओ की चुप्पी निश्चिततौर पर कहीं न कहीं भ्रष्टाचार और ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दे रही हैं। इस मामले को लेकर जिला पंचायत सीईओ श्रीमति मंजूषा विक्रांत राय को फोन लगाया गया लेकिन किसी व्यस्तता के चलते उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।