7 दशक से जंगल में जला रहे लोकतंत्र की मशाल, 100 प्रतिशत मतदान
केरल। गोंडवाना समय।
वायनाड लोकसभा सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं और वहां पर 23 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत केरल की 20 सीटों पर 75.6 प्रतिशत वोटिंग हुई। केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र में आने वाले कुरिचियाड क्षेत्र के आदिवासी वन क्षेत्र में रहते हैं। लेकिन पिछले सात दशक से वह पूरी जिम्मेदारी व कर्तव्यता के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग करते आ रहे हैं। हालांकि बैलट के प्रति उनकी निष्ठा के बावजूद बुनियादी सुविधाओं के नाम पर उन्हें ज्यादा कुछ तो नहीं मिला है। यहां तक कि उनके घरों में बिजली भी नहीं है। तमाम मुश्किल हालात से जूझ रहे आदिवासी लोकतंत्र के लिए आदर्श बन रहे हैं। निर्जन इलाके में बने उनके गांव के पोलिंग बूथ पर मंगलवार 23 अप्रैल को भी 100 प्रतिशत वोटिंग हुई। सभी 58 आदिवासी वोटरों ने इस दौरान मतदान किया। इस बार का चुनाव उनके लिए खास है क्योंकि संभवत: उनका यह आखिरी आम चुनाव है, जिसमें 300 की आबादी वाले इस गांव के लोगों ने एक साथ वोट डाला है।
विस्थापन योजना के तहत हो रहे शिफ्ट
गांव के 300 लोगों में से ज्यादातर जंगल से निकलकर केंद्र सरकार की स्वैच्छिक विस्थापन योजना के तहत अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट हो गए हैं। जंगली इलाके में रहने वाले बाकी 58 वोटरों को भी विस्थापन योजना का लाभ मिल चुका है और उम्मीद है कि एक साल के अंदर वे जंगल से दूसरी जगह शिफ्ट हो जाएंगे। इलाके के एक आदिवासी बाबू बताते हैं, 'कुरिचियाड के वोटर के रूप में यह हमारा आखिरी चुनाव है। जब अगले आम चुनाव होंगे तो यह पोलिंग बूथ और जिस जमीन पर हमारे घर बने हैं वह वन विभाग के पास चला जाएगा।
11 बजे ही पड़ गए थे 90 प्रतिशत वोट
कुरिचियाड के वोटर सुबह से ही मतदान के लिए पहुंचने लगे थे और 11 बजने तक करीब 90 प्रतिशत मतदाता अपना वोट डाल चुके थे। शाम 5.45 बजे जब आखिरी वोटर राजू ने अपना वोट डाला तो बूथ पर 100 प्रतिशत मतदान हो चुका था। जंगली हाथियों के हमले में तहस-नहस हो चुके इकलौते स्कूल में मतदान कार्य के लिए हाल ही में मरम्मत हुई थी। वहीं 90 साल की आदिवासी महिला कहती हैं, 'पिछले 70 साल से कोई चुनाव ऐसा नहीं है, जिसमें मैंने वोट नहीं डाला। हालांकि इससे हमारे जीवन में कोई बदलाव नहीं आया है। शहद इकट्ठा करने के लिए हमें जंगल में जाना पड़ता है और हम दूसरी जंगली चीजों पर जीवन निर्वहन के लिए निर्भर हैं।'
जिम्मेदार मतदाता, समर्पित नागरिक
वहीं आदिवासी मतदाताओं का यह भी कहना है कि वह इस बात से दुखी हैं कि उन्हें जंगल का अपना घर और आदिवासी देवता को छोड़ना पड़ेगा। भविष्य की पीढ़ी की जरूरतों को देखते हुए वह जंगल छोड़ने को तैयार हो गईं। स्वैच्छिक विस्थापन योजना के तहत हर परिवार को जंगल से बाहर आने पर 10 लाख रुपये की मदद दी जा रही है। पर्यावरणविद एन बदूशा कहते हैं कि कुरिचियाड के आदिवासी वोटर एक जिम्मेदार मतदाता के साथ-साथ स्वैच्छिक रूप से अपने पूर्वजों की जमीन छोड़कर एक समर्पित नागरिक की मिसाल भी पेश कर रहे हैं। जंगल के संरक्षण के लिए वह अपना घर छोड़ने को तैयार हैं। बता दें कि वायनाड लोकसभा सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं और यहां पर 23 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत केरल की 20 सीटों पर 75.6 प्रतिशत वोटिंग हुई है ।