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3 टन गोबर से राहुल के उड़नखटोले के लिये हेलिपैड का रंग-रोगन

3 टन गोबर से राहुल के उड़नखटोले के लिये हेलिपैड का रंग-रोगन

आदिवासी श्रमिकों ने भी किया रंग-रोगन का काम


वायनाड में हेलीपेड का ठेके पर कंपनी ने कराया काम

मूलभूत सुविधाओं को मोहताज वायनाड के आदिवासी


केरल के वायनाड से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना नामांकन फॉर्म गुरूवार 4 अप्रैल को भर दिया है । नामांकन दाखिल करने बहन प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ पहुंचे । इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि दक्षिण में फीलिंग है, वह अमेठी में भी हैं और केरल में भी हैं, जिस तरह से बीजेपी और संघ कल्चरल अटैक देश में कर रहे हैं, उसके खिलाफ यहां मैसेज देने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं । स्थानीय निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल किए । केरल की इस सीट से राहुल गांधी के नामांकन दाखिल करने के चलते भारी संख्या में कांग्रेस समर्थक मौजूद रहे । पर्चा दाखिल करने के बाद रोड शो में शामिल हुये। 

केरल। गोंडवाना समय। 
केरल राज्य के वायनाड जिले में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या सबसे ज्यादा है। जिले में लगभग 18.5 प्रतिशत आदिवासी निवास करते हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर को घर और जमीन की कमी जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां से अमेटी के अलावा चुनाव लड़ रहे है ।
इसके लिये कांग्रेस संगठन ने विशेष तैयारी किया हुआ है वह गुरूवार को 4 अप्रैल को अपना नामांकन भरा और इसके लिये जब वे पहुंचने वाले तो थे उनका उड़नखटोला जब जमीन पर उतरे तो धूल न उड़े इसके लिये पानिया आदिवासी समुदाय के 20 लोग हेलिपैड की गोबर से लिपाई-पुताई करवाया गया है ।

पीडब्ल्यूडी ने गोबर लिपाई का दिया था ठेका

वायनाड के चेतलयम इलाके की पूवांची कॉलोनी में राहुल के नामांकन भरने के लिये पहुंचने के लिये कलपेट्टा के एसकेएमजे हाई स्कूल ग्राउंड में अस्थाई हेलिपैड तैयार किया गया था । जिस हेलिपैड पर लिपाई पुताई आदिवासी श्रमिकों से करवाया गया था उन्हें तो यह पता भी नहीं था कि ये इंतजाम क्यों किए जा रहे हैं। उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि कलपेट्टा में कौन उतरने वाला है। आदिवासी समुदाय के श्रमिकों ने गाय के गोबर में पानी मिलाकर हेलिपैड के लिए निर्धारित जगह पर धूल न उड़ा इसके लिये लिपाई किया । वहीं जब बुधवार शाम को जब ट्रायल किया गया तो हेलिकॉप्टर से धूल का गुबार दिखा था। आदिवासी लोगों को एक कंपनी ने हायर किया है, जिसे वीवीआईपी दौरे के लिए गोबर की मदद से हेलिपैड को धूलमुक्त बनाने और पूरे स्कूल ग्राउंड की
सफाई का काम दिया गया है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने कंपनी को यह ठेका दिया था।
श्रमिकों ने कहा कंपनी का था आदेश गोबर की लिपाई करने वाले श्रमिकों जिसमें विशेषकर महिलाओं का कहना था कि 'यह कोई अच्छा काम नहीं है और पूरे हाथों और पैरों में गोबर लग गया था । अच्छा होता अगर हाथों को ढकने के लिए कोई कवर मुहैया करा दिया जाता लेकिन हमारे पास कंपनी के बॉस का आदेश मानने के अलावा और कोई चारा नहीं है।

3 टन गाय के गोबर का करना पड़ा इंतजाम 

मीनांगडी की ठेका कंपनी के सुपरवाइजर के अनुसार जल्दबाजी में नजदीक के एक डेयरी फार्म से तकरीबन तीन टन गाय का गोबर लोड करके लाया गया था । वहीं कंपनी के सुपरवाईजर का कहना था कि 'हमें पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने कहा कि स्पेशल प्रटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के लोग जो भी निर्देश देते हैं उसका पालन किया जाए। ग्राउंड पर टॉफी के रैपर और आइसक्रीम कप जैसा काफी प्लास्टिक कचरा मौजूद था। हमने इसे साफ किया और गाय के गोबर के पेस्ट से हेलिपैड पर पुताई करवाया'

छोटा सा प्लाट जिस पर वन विभाग ठोंक रहा दावा

आदिवासी समुदाय के कुछ लोगों को तो यह भी नहीं पता था कि हेलिकॉप्टर से कौन आ रहा है। क्षेत्र की समस्याओं पर उनका कहना पड़ा कि 'बाढ़ से बबार्दी के बाद कृषि के क्षेत्र में कोई काम नहीं बचा है। इसलिए अब समुदाय के ज्यादातर लोग जो भी काम मिल जाता है, उसे कर रहे हैं। हमें एक दिन के काम की जो मजदूरी मिलती है उससे काम चलाते है लेकिन अब एक किलो चावल लाना भी महंगा हो गया है । हमारी जिंदगी अनिश्चितता के भंवर में है क्योंकि मेरे पास जो छोटा सा प्लॉट है, उस पर भी वन विभाग अपना दावा ठोक रहा है।'

आदिवासियों को मूलभूत सुविधाओं से जूझना पड़ रहा

आदिवासी श्रमिकों ने लगभग डेढ़ घंटे में हेलिपैड को गोबर से लीपने का काम पूरा कर लिया था । उनका कहना है कि ठेका कंपनी के लिए वे कुछ समय से काम कर रहे हैं। यहां मजदूरी में अंतर समझ आता है क्योंकि महिला कामगारों को प्रतिदिन 350 और पुरुषों को प्रतिदिन 450 रुपये मजदूरी मिलती है। केरल के वायनाड जिले में आदिवासी समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा है। जिले में 18.5 प्रतिशत आदिवासी निवास करते हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर को घर और जमीन की कमी जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।

हाथियों के हमले से बचना सबसे बड़ा मुद्दा

लोकसभा सीट के तहत दो विधानसभा क्षेत्र सुल्तान बतेरी और मनानतवाडी आते हैं । वायनाड के जंगलों में रहने वाले आदिवासियों का कहना है, हमारे पास मकान या छप्पर नहीं है । कोई सड़क नहीं है, पीने का पानी नहीं है, हमें नेताओं से ज्यादा उम्मीद नहीं है । आदिवासियों का कहना है कि हाथियों से निपटना और उनके हमलों से बचना सबसे बड़ा मुद्दा है । उनका कहना है कि जंगलों के भीतर हमारे घरों में हाथियों के हमलों का डर हमेशा बना रहता है । इस क्षेत्र में सदियों से आदिवासियों का बसेरा रहा है । वायनाड के जंगल पनिया, कुर्म, अदियार, कुरिचि और कत्तुनाईकन आदिवासियों के घर हैं । परंपरागत रूप से वायनाड आदिवासियों का घर रहा है, उन्हें कभी जमीन मालिक बनने की फिक्र नहीं रही, लेकिन अब वह अपने ही घर में बेघर हो गए हैं ।
दूसरी ओर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि उन्होंने केरल से भी चुनाव लड़ने का निर्णय इसलिए किया क्योंकि दक्षिण भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'विद्वेष' को महसूस कर रहा है, उनकी उम्मीदवारी एक संदेश देगी कि 'हम आपके साथ हैं, मैं आपके साथ हूं यही संदेश है ।
बहरहाल, वायनाड सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ एलडीएफ (वाम मोर्चा) ने भाकपा के पीपी सुनीर और एनडीए ने बीडीजेएस के तुषार वेल्लापल्ली को मैदान में उतारा है ।

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