जिले के 29 खरीदी केन्द्रों में नहीं पहुंचा गेंहू का एक दाना
समर्थन मूल्य में चल रही गेंहू खरीदी की रफ्तार धीमी
सिवनी। गोंडवाना समय।
मक्का के भावंतर और धान के उठाव व उसके भुगतान के लिए भटक रहे जिले के किसान समर्थन मूल्य में शुरू हुई गेंहू खरीदी में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। गेंहू सरकार को बेचने की बजाय मंडी में जाकर व्यापारियों को ज्यादा बेच रहे हैं। वहीं जिले के दो दर्जन से ज्यादा केन्द्र ऐसे हैं जहां गेंहू का एक दाना भी नहीं पहुंच पाया है। गेंहू की खरीदी शुरू नहीं हो पाई है।सरकारी आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो खरीदी के 19 दिन चले जाने के बावजूद तकरीबन 25 हजार क्विंटल गेंहू की ही खरीदी हो पाई है।
29 केन्द्रों में शुरू नहीं हुई गेंहू की खरीदी
जानकारी के मुताबिक सिवनी जिले में समर्थन मूल्य पर किसानों की गेंहू की खरीदी करने के लिए 85 केन्द्र बनाए गए हैं जिसमें 25 मार्च से शुरू हुई खरीदी के बाद 12 अप्रैल तक 19 दिनों में 56 समितियों में ही गेंहू की खरीदी हो रही है। 29 केन्द्र ऐसे हैं जहां अभी तक गेंहू का एक भी दाना नहीं पहुंचा है। समिति प्रबंधक गेंहू लेकर आने वाले किसानों का इंतजार कर रहे हैं।
236 किसानों ने बेचा 24293.34 क्विंटल गेंहू
खाद्य आपूर्ति विभाग से मिली जानकारी अनुसार सिवनी जिले में गेंहू,चना,मसूर को समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए जिले के तकरीबन 63000 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। जिसमें 25 मार्च से अब तक माात्र 236 किसान ही 24293.34 क्विंटल गेंहू बेच चुके हैं। आंकड़ों पर गौर फरमाने से ऐसा लगता है कि गेंहू खरीदी की रफ्तार धीमी है।
सरकार को गेंहू बेचने में किसान भी नहीं दिखा रहे दिलचस्पी
गौर करें तो समिति केन्द्रों से ज्यादा किसान अपनी गेंहू को मंडी में जाकर किसानों को बेच चुके हैं। यानी साफतौर पर समझ आ रहा है कि किसान सरकार को गेंहू बेचने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। सरकार को गेंहू न बेचने की सबसे पहला कारण तो यह है कि समितियों में भारी अव्यवस्थाऐं हैं और दूसरा कारण यह है कि किसानों को समय पर और उनकी जरूरत पर शासन स्तर से पैसा नहीं मिल पाता है। किसानों को चक्कर काटना पड़ता है। आॅनलाइन भुगतान के कारण कई बार तो कई बार एक किसान का पैसा दूसरे खाते में चला जाता है और किसान समिति और बैंक के चक्कर में चक्कर काटते रहता है।जबकि व्यापारी न केवल किसानों के घर से गेंहू लेकर आ रहा है बल्कि उन्हें नगद भुगतान भी कर रहा है। इसके अलावा जिस तरीके से किसान धान को बेचते समय पोर्टल चालू-बंद होने की परेशानी। ठेकेदार द्वारा समय पर उठाव न करने से धान का खरीदी पोर्टल में न चढ़ना और भुगतान न होने की समस्या के चलते किसान दोबारा सरकारी तंत्र के झमेले में नहीं पड़ना चाहता है। वहीं जिले में कुछेक किसान ऐसे हैं जिनके बेटा-बेटियों की शादी होने वाली है ऐसे में वे गेंहू के भुगतान के लिए भटकने से बचने के लिए नगद राशि हाथ में लेने के लिए व्यापारियों को बेच रहे हैं।