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बिजली की चिंगारी ने अन्नदाताओं की 200 एकड़ से ज्यादा फसल कर दिया खाक

बिजली की चिंगारी ने अन्नदाताओं की 200 एकड़ से ज्यादा फसल कर दिया खाक

लखनवाड़ा, कान्हीवाड़ा थाना क्षेत्र के गांव में आगजनी की घटनाऐं

सिवनी। गोंडवाना समय। 
जिले के कान्हीवाड़ा थाना और लखनवाड़ा थाना क्षेत्र में गेंहू की फसलों में आग लगने से दो हैक्टेयर से ज्यादा में लगी गेंहू की फसल धूं-धूं करके जलकर खाक हो गई। किसानों ने आग  को बुझाने का प्रयास किया लेकिन हवा के सहारे आग तेज रफ्तार से बढ़ते गई और कई किसानों की फसलों को अपनी चपेट में लेकर खाक कर दी। आगजनी का कारण खंबे से  निकली बिजली की चिंगारी बताया जा रहा है।

150 से 200 एकड़ की फसल जलकर खाक-

कान्हीवाड़ा थाना अंतर्गत ग्राम सिंघोड़ी मानेगांव में रविवार 7 अप्रेल की रात विद्युत पोल से निकली चिंगारी से भीषण आग लग गई। तकरीबन 150 से 200 किसानों की गेंहू की फसल जलकर खाक हो गई। फसल नुकसानी को लेकर किसान पूरा ठीकरा बिजली कम्पनी पर फोड़ रहे हैं।
किसान बताते हैं कि खेत में लगी हुई आग को दमकल और टैंकर के पानी से काबू में ले लिया था लेकिन रात तकरीबन तीन बजे पलारी सब स्टेशन से लाइन चालू कर दी  गई फिर उससे तीन-चार किसानों के खेत में पुन: आग लग गई। बताया जाता है कि समय रहते हुए उपस्थित लोगों द्वारा आग बुझाई गई नहीं तो कई किसानों की फसलें और जलकर खाक हो जाती।

जामून टोला गांव में 14 एकड़ में लगी आग-

कान्हीवाड़ा थाना क्षेत्र के जामुनटोला आमाकोला में सोमवार की सुबह आगजनी की घटना से 14 एकड़ में लगी किसानों की गेंहू की फसल जलकर खाक हो गई। किसान सकरवती बाई इनवाती की चार एकड़,अंतो बाई काकोड़िया की दो  एकड़, नेमी चंद इनवाती दो एकड़, तारा  सिंह इनवाती एक एकड़, मुन्नेलाल इनवाती एकएकड़, सुन्नेलाल इनवाती एक एकड़, मेशराम इनवाती एक एकड़, कोड़ीलाल इनवाती दो एकड़ में लगी गेहूं पूरी तरह जलकर खाक हो गई। आग को बुझाने का प्रयास किया गया लेकिन हवा की  रफ्तार से आगे बढ़ते हुए फसल को जलाते चली गई।

गेहंू की फसल और पाइप जले-

लखनवाड़ा थाना अंतर्गत सोमवार को पूर्वान्ह साढ़े 11 बजे के तकरीबन डॉ राजकुमार सनोड़िया पिता हेमराज सनोड़िया के खेत में अचानक आग लगने से गेंहू की फसल और वहां रखे हुए सिंचाई के पाइप जलकर खाक हो गए। बताया जाता है कि आग इतनी तेज गति में थी की पलक झपकते ही  श्रीमति जमना बाई ,बेनिराम,गंगाराम ,झीना,कृष्ण कुमार ,हेमराज सनोड़िया सहित तकरीबन  चार-पांच किसानों की पांच-छ: लाख रुपयों की फसल एवं अन्य सामग्री जलकर खाक होने में  देर नहीं लगी। फुलारा एवं करहैया,मातृधाम के तकरीबन तीन दर्जन  से अधिक जाबांज युवाओं ने आग को बुझाने में जान की बाजी लगाकर आग को काबू किया। उसी दरमियान समय रहते फायर ब्रिगेड की टीम भी मौके पर पहुंच कर चारों तरफ आग पर काबू पाने में सहयोग किया।

विद्युत विभाग के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस 

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी  प्रवीण सिंह की अध्यक्षता में 8 अप्रैल सोमवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में समय-सीमा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में कलेक्टर द्वारा प्रमुख रूप से जिले में आगजनी की घटना से हुई फसल नुकसानी को लेकर सभी अनुविभागीय अधिकारियों से चर्चा कर तत्काल राहत राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। उन्होंने विद्युत लाइनों की खराबी के कारण हुई आगजनी की घटना को लेकर विद्युत विभाग के सभी कार्यपालन एवं सहायक यंत्रियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुये चेतावनी देते हुये निर्देशित किया कि विद्युत लाइनों की खराबी के कारण कोई भी आगजनी घटना ना हो। निरीक्षण कर तत्काल सभी मरम्मत कार्य युद्धस्तर पर पूर्ण किए  जाए। विभाग की लापरवाही से होने वाली दुर्घटनाओं से संबंधित अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की  जाएगी। इसी तरह उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि किसान मित्र एवं विभागीय अमले के माध्यम से किसानों को नरवाई जलाने से होने वाले नुकसानी की जानकारी देते हुये नरवाई न जलाने की अपील की है।

खेतों में नरवाई न जलाने की अपील

जिले के किसान भाईयों से अपील है कि वे गेहूं कटने के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) खेतों में न जलायें, क्योंकि यह खेती के लिये आत्मघाती कदम है। नरवाई में आग लगाने से भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है। भूमि में उपस्थित सूक्ष्मजीव जलकर नष्ट हो जाते है, सूक्ष्म जीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है। भूमि की ऊपरी परत में ही पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, आग लगने के कारण पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते है। नरवाई जलाने से भूमि कठोर हो जाती है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है और फसलें सूख जाती है। खेत की सीमा पर लगे पेड़ पौधे आदि जलकर नष्ट हो जाते है।
     पर्यावरण प्रदूषित होता है, वातावरण के तापमान में वृद्वि होती है, इससे धरती गर्म हो जाती है। कार्बन से नाइट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है। केंचुए नष्ट हो जाते हैं, जिस कारण भूमि की उर्वरक क्षमता खत्म हो जाती है। वर्तमान में रबी फसलें जैसे गेहूं, चना की कटाई करने के बाद किसान उसे जला रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्णय अनुसार नरवाई जलाने से पर्यावरण खराब हो रहा है। साथ ही जन-धन को नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। मित्र कीट भी नष्ट हो रहे है। किसानों से अपील है कि नरवाई न जलाते हुए उन्हें कृषि यंत्र स्ट्रारिपर से कटाई करके भूसा तैयार कर गहरी जुताई करें।
    नरवाई जलाने का कृत्य धारा 144 के तहत प्रतिबंधित है। नरवाई में आग लगाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी कायम किया जा कर कठोर कार्यवाही की जायेगी। इस संबंध में म.प्र. शासन के नोटिफिकेशन 15 मई 2017 में निषेधात्मक निर्देश दिये ग्रये हैं। निदेर्शों के उल्लंघन किये जाने पर व्यक्ति, निकाय को नोटिफिकेशन प्रावधान अनुसार दो एकड से कम भूमि रखने वाले को ढाई हजार प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्व, दो से पांच एकड़ भूमि रखने वाले को पांच हजार प्रति घटना क्षतिपूर्ति एवं पांच एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले को 15 हजार प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देना होगी।

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