कोयापुनेम के नेंग, सेंग ओर मिजान को सुनने समझने का दिखा उत्साह
सगा सग्गुम आदिम समाजिक संस्था के तत्वाधान में हुआ आयोजन
कोयापुनेम जनजागृति सांस्कृतिक समारोह का रहा सफल आयोजन
कमलेश गोंडगोंडवाना समय संवाददाता
डिठौरी (नैनपुर)। गोंडवाना समय।
सगा सग्गुम आदिम सामाजिक संस्था भोपाल के संयोजन समिति नैनपुर के पठार क्षेत्र डिठौरी में 24 फरवरी 2019 दिन रविवार को सांस्कृतिक समारोह के तहत एक दिवसीय समारोह का आयोजन सफलता के साथ संदेशानात्मक तो रहा ही है व सराहनीय प्रयास के लिये सभी ने इसकी प्रशंसा भी किया ।
उक्त समारोह संयोजन समिति नैनपुर की ओर से आयोजित इस एक दिवसीय समारोह में ऐतिहासिक सांस्कृतिक समारोह का भी आयोजन किया गया जो सम्मेलन में मौजूद थे उन्हें साक्षात देखने का अवसर मिला तो वहीं जो नहीं पहुंच पाये वे जानकर उत्सुक हुये । इस मौके पर बड़ी संख्या में जिले भर के लोग आयोजन में शामिल हुये । गोंड़वाना की संस्कृति, भाषा और साहित्य को लेकर लोगों में कोयापुनेम के नेंग, सेंग ओर मिजान को सुनने समझने का उत्साह देखने को मिला ।
कोयापुनेम और संस्कृति को सहेजने के उद्देश्य से आदिम समुदाय में जनजागृति के लिए आयोजन किया गया था आयोजन के आरम्भ में कोयापुनेम मिजान गत गोंगो कर विशेष उपलब्धि के लिए अथितियों का स्वागत किया गया.
अतिथियों का सेवामान संस्कृति के आधार पर हुआ
सगा सग्गुम आदिम समाजिक संस्था भोपाल से पधारें सगापाडियो का संयोजन समिति के सगापाडियो ने पारम्परिक ढंग से कोयतुड़ियन रीतिरिवाज अनुसार स्वागत बेला में सम्मानपूर्वक पेर धोकर उड़द की दाल ओर चावल दाने से अथितियो का बारी बारी से सेवामान किया गया ।गोंड़वाना की संस्कृति से निखरती कला
रविवार 24 फरवरी को को नार डिठौरी गोंडवाना की संस्कृति के रंगों से सराबोर रहा। एक ओर संस्कृती की परंपराओं को जीवंत कियातो दूसरी ओर गोंडवाना स्टुडेंट युनियन गढ़ मंडला, नैनपुर, डिठोरी एवं छत्तीसगढ़ टीम के नन्हे-नन्हे कलाकारों ने रीना पाटा करमा की शानदार प्रस्तुति कर गोंडी संस्कृति के रंग बिखेरे।
समारोह में गोंडवाना स्टुडेंट युनियन टीम के प्रस्तुतिकरण के दौरान कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति और पारंपरिक परिधानों के रंगों का आकर्षण देखते ही बनता था।
संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल होगा गोंडी भाषा-कुलस्ते
मंडला लोकसभा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने गोंडी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का जोर दिया है । उन्होने बताया कि गोंडी भाषा मध्य और पूर्वी भारत के एक बड़े हिस्से में बोली जाती है। इसे बोलने वाले देश के प्रत्येक राज्यों में लाखों गोंडवाना के लोग हैं लेकिन इस गोंडी भाषा का न तो शब्दकोष है और न ही इसका मानकीकरण हो सका है। गोंडी भाषा प्रकृति आधारित दुनिया का बेहद प्राचीन भाषा है । भाषा को संरक्षित करने का काम हुआ और ना ही विकसित हो पाया है इसलिए कई राज्यों से इस भाषा के लिये गोंडी साहित्यकार शब्दकोष तैयार कर रहे हैं । जल्द ही भारत सरकार के जनजातीय मामलों के विभाग से आस बंधी है कि भाषा के मानकीकरण के लिये भारत सरकार को पेश कर सूचीबद्ध किया जाऐगा ।गोंडी संस्क्रति के अस्तित्व की रक्षा करें मूलवासी-संजीव उइके
मंडला विधानसभा के पूर्व विधायक संजीव उइके ने कार्यक्रम के सम्बोधन में कहा आज भी हमारा आदिम समुदाय प्राकृतिक संपदा जल, जंगल और जमीन से अपने प्राकृतिक व सामाजिक जीवन निर्वाह की आवाश्यकताओं की संयमित रूप से पूर्ती करता है क्योंकि वह मानता है कि प्रकृति सम्पूर्ण जीवों की सार्वजनिक संपत्ति है । जिसमे श्रष्टि के समस्त जीवों का अधिकार और हक है । इसीलिए जनजातीय समाज प्रकृति में स्थित पेड़-पौधे, झाड़ से कृषि यन्त्र या सांस्कारिक कार्यों आदि के लिए उपयोगी मिट्टी, पत्थर, लकड़ी, पेड़, औषधीय पौधों, पत्ते, जड़, फूल, फल का उपयोग तथा अपने प्राकृतिक देवी-देवताओं की मान्यता सेवा अर्पित करने की परम्परा को पूरा करने के लिए जीव आदि की आवश्यकता पड़ने पर उस मिट्टी, पत्थर, पेड़, पौधे, जड़, पत्ते, फूल, फल, जीव इत्यादि को खोदने उठाने पकड़ने तोड़ने काटने उखाड़ने के पूर्व फडापेन से आज्ञा लेता है । हमें हमारी गोंडी संस्क्रति के अस्तित्व की रक्षा करना चाहिए ।कार्यकम के अध्यक्ष ने किया कोयापुगारों का सम्मान
आयोजित कार्यक्रम के दूसरे चरण में सांस्कृतिक समारोह के अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. सुरेन्द्र वरकड़े ने नन्हे कलाकारों को उचित राशि भेंट कर सम्मानित किया गौरतलब है गोंडवाना की पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रम में मनमोहक कला का प्रदर्शन कर बच्चों ने चार चांद लगा दिये।पुलवामा में हुये आतकी हमले में शहीद जवानो को किया सादर सेवा जोहार
समारोह के प्रथम चरण में सगा सग्गुम आदिम समाजिक संस्था भोपाल इंडिया एवं संयोजन समिति नैनपुर गढ़ मंडला ने विगत दिनो पुलवामा आतंकी हमले में शहीद वीर सपूतों की शहीदी को याद करते हुये उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रक्रति शक्ति फंडापेन से प्रार्थना की है और 2 मिनट का मौन धारण कर कार्यकम को संचालन किया गया ।बेहतर नेतृत्व कर आने वाली पीढ़ी को सुगम जीवन की राह प्रदान करना युवाओ का मुख्य उद्देश्य
पुखराल के समस्त आडो को हेत करते हुए कार्यक्रम के विशिष्ट अथिति तिरूमाल राजीव कुड़ापे ने कहा वर्तमान में कोयतुड़ विडार के युवाओ में समाजिक चिंतन को लेकर सक्रिय परिवर्तन हो रहा है और इस परिवर्तन के उद्देश्य स्पष्टत: कोयतुड़ विडार की मीजान, नेग, सेंग, लेंग, रीती-रिवाज, संवैधानिक अधिकारो की संरक्षण, नियंत्रण और बेहतर नेतृत्व कर आने वाली पीढ़ी को सुगम जीवन की राह प्रदान करना युवाओ मुख्य उद्देश्य है। समाज के सम्मानीय प्रबुद्ध जनो ने अपने मार्गदर्शन में युवाओ को समाज नेतृत्व का मौका देते हुए युवाओ के भरोसे की पंखों को मजबूती देना समाज की एक जिम्मेदारी बनती है। शिक्षा और शिक्षित में महज अंतर आज के युवा जानते हैं । शिक्षा साक्षर और नौकरी पेशा कर पेट पालना हो सकता है परन्तु शिक्षित वह है जो शिक्षा साक्षर और नौकरी पेशा कर पेट पालने के साथ समाज को अच्छे नजरिया से संरक्षण और नियंत्रण कर समाज की खोई हुई अस्मिता को हासिल कर गति प्रदान करना। राजनीती समाज के समस्त गोदा, गोंदाला, गोटूल, गढ़, गोंडवाना के मिजनों से परिपक्व व्यक्ति को समाज राज की नीति के लिए नेतृत्व कर्ता को जब समाज नेतृत्व हेतु चुनेगा । तब उस प्रतिनिधि को कोई भी ताकत जीतने से नहीं रोक सकता क्योंकि उस के साथ समाज सदैव खड़ा रहता है । कोया विडार के मुख्य 3 मिजानो में से एक मीजान पुड़सीना मीजान (जन्म संस्कार) पर विस्तृत चर्चा किया गया जिसमें मीजान के चर्चा भुजलिया, विज्ज, जीवा, पुंगार, काया, कोयतुड़, गोटूल, गोंडवाना की कोया पुनेम की गति हेतु नेग चर्चा के पुनल जीवा ता पैंजिया ते वयना, नरा बेला कोयना, कोख, कन्दरा, खोह ते पिस्साना, कोयना कोयतुड़, सवर नरा, बेला गोंगो, पद नटी पुरोल टन्डाना, सयुंग मान ते जावा चिखे कियाना, कव्वी कक्च्ची कियाना एव गोटूल का मीजान सेर सेरता में समाज के समक्ष पर्त्यक्ष क्रियांवय कर सफल जीवन में खरा उतर कर समाज को विश्वास दिलाना दिलाने की बात कही ।अनुसूचित जनजाति गोंड समुदाय कोयापुनेम रीति नीति परंपराओ नियमो व सिद्धांतों से शासित व संचालित है
समारोह के मुख्य अतिथि तिरू.पी.एस मरावी जी अनुसूचित जनजाति गोंड समुदाय की रीति नीति परंपराओ नियमो व सिद्धांतों से शासित व संचालित कोया पुनेम (धर्म) के ऐतिहासिक काल खण्ड व विस्तार के सन्दर्भ में समारोह के मुख्य अतिथि तिरू.पी एस मरावी ने गोंड विडार के प्रचलित जन कहानियो, पाटाओ व अध्यामिक मंत्रो के गीतो व सारांश को सगा समाज मे रख कर ध्यान आकर्षित कराया गया । वैज्ञानिक भाषा पाना पारसी (गोंडी भाषा) के उत्पत्ति के सन्दर्भ व अक्षर माला अ से अ: व क से ज्ञ के अक्षरो को लोक मुहावरो के माध्यम से बोलचाल मे लाये जाने की विशेष जानकारी देते हुये कोया पुनेम का आवधारणा व आधार-प्रकृति के मानवीय मुल्यो वाले सिद्वांतो के अनुकूल ऋूटिहीन सामाजिक व्यवस्था का अवधारणा कोया पुनम का प्रवर्तक पुरुष : बाबा पंहादी कुपाड़ लिंगो के बारे गोंड समुदाय मे प्रचलित पाटा को सगाजनो के बीच में मनमोहक प्रस्तुति व गोड समुदाय के मूल नृत्य व गीतो के मूल शैली व उनके वास्तविक स्वरूप के संरक्षण व संवर्धन की पहल किया गया । चिंतन के माध्यम से कोया पुनेम के गोड़ गिरान (अधिनियमों ) संरक्षकता, भाषण पोषण, सम्पति का बटवारा, विवाह विच्छेदन, गोद लेना धर्मातरण व समाज मे प्रचलित न्याय की व्यवस्था नार पंचायत (एक गांव के सियान )मुंडेदार पंयायत (12 गांव के सियान )गढ पंचायत (40 गांव के सियान )राज पंचायत आदि विषयो मे उम्दा विचार प्रस्तुत किया गया। गोंडवाना समयसमाचार पत्र कार्यालय सिवनी मध्य प्रदेश
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