भारत में छात्र छात्राओं में वैज्ञानिक सोच न विकसित हो पाने के लिए धर्म जिम्मेदार: डॉ. सूर्या बाली
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
बालाघाट/वारासिवनी। गोंडवाना समय।राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर एम्स भोपाल के प्रोफेसर डॉ. सूर्या बाली ने वारा सिवनी के नवोदय विद्यालय के प्रांगण में गुरूवार को छात्रों के साथ राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर छात्र-छात्राओं के समक्ष अपने विचार रखे और विद्यालय के छात्र-छात्राओं को नेशनल साइंस (राष्ट्रीय विज्ञान दिवस) की बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. सूर्या बाली ने बताया कि यह दिवस प्रति वर्ष 28 फरवरी को भारतीय वैज्ञानिक सर सी वी रमन द्वारा खोजे गई रमन प्रभाव के सम्मान में मनाया जाता है। सर सीवी रमन को उनके रमन प्रभाव खोज के लिए 1930 का फिजिक्स का नोबेल प्राइस सम्मान मिला था। गुरूवार को कार्यक्रम में डॉ सूर्या बाली को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था ।
भोपाल से पधारे डॉ सूर्या बाली ने छात्र-छात्राओं के विज्ञान संबंधी प्रश्नों के जवाब दिए और छात्रों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। अपने संबोधन में डॉक्टर सूर्या बाली छात्रों को अपने जीवन के बारे में और अपनी शिक्षा के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दिया और यह भी बताया कि छात्रों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने के लिए एक खुले वैज्ञानिक वातावरण और वैज्ञानिक सोच की जरूरत होती है । डॉ सूर्या बाली ने भी बताया कि छात्रों को स्वतंत्र रुप से वैज्ञानिक सोच का वातावरण उपलब्ध कराना शिक्षकों का दायित्व होता है । जिसे छात्र निसंकोच अपनी जिज्ञासा कोशिश को अध्यापकों के सामने रख सके और खुले मन से प्रश्न पूछ सकें। भारत में छात्रों में वैज्ञानिक सोच न बन पाने का मुख्य कारण धर्म को बताया और दकियानूसी शिक्षा प्रणाली के लिए भारत की धार्मिकता को दोषी ठहराया।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के इस अवसर पर स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती शर्मा के साथ-साथ विद्यालय के अन्य शिक्षक भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में बालाघाट विनय मरकाम भी उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन यूथ आइकन श्री रवि आर्मो ने किया।