जनजातियों के बेदखली आदेश का मामला-6 मार्च को होगी जनजातिय मंत्रालय व राज्य सरकारों की बैठक
उच्चतम न्यायालय 28 फरवरी को ये लगाई रोक तो ये आदेश रखा बहाल
जनजातीय कार्य मंत्रालय एफआरए 2006 के अंतर्गत एसटीएस तथा ओटीएफडीएस मामले में उच्चतम न्यायालय के निदेर्शों को कारगर ढंग से लागू करने पर राज्यों सरकारों के साथ बैठक करेगा ।
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।अनुसूचित जनजाति (एसटी) तथा अन्य पारंपरिक वनवासी (ओटीएफडी), जिनके वन भूमि के अधिकार के दावे एफआरए 2006 के अंतर्गत नामंजूर किये गये हैं, उनके मामले में 28 फरवरी, 2019 को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। राज्यों के अनेक अधिवक्ताओं के अतिरिक्त जनजातीय कार्य मंत्रालय का प्रतिनिधित्व सोलिसिटर जरनल श्री तुषार मेहता ने किया। सोलिसिटर जनरल ने न्यायालय को बताया कि 2014 से मंत्रालय राज्यों से कानून प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कहता रहा है। उन्होंने राज्यों को जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा लिखे गये विभिन्न पत्रों के बारे में भी अपनी बात रखी। उन्होंने न्यायालय को बताया कि दाखिल दावों, नामंजूर दावों के संबंध में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया तथा नामंजूर किये गये मामलों का वास्तविक ब्यौरा पर विचार करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों के साथ बैठक का प्रस्ताव किया है। न्यायालय को राज्य स्तरीय निगरानी समिति (एसएलएनसी) की संरचना और क्रियाकलापों की जानकारी दी गई।