पत्रकारों के लिए आचार संहिता होनी चाहिए-उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली। गोंडवाना समय।उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि मीडिया संगठनों को अब पत्रकारों के लिए एक आचार संहिता बनानी चाहिए। केरल में सोमवार 4 फरवरी को कोल्लम प्रेस क्लब के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि व्यापक जनभावनाओं को व्यक्त करने की बजाए अखबार आजकल सनसनीखेज और पक्षपातपूर्ण खबरें देने लगे हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को कभी भी स्वतंत्रता और निष्पक्षता के उसके मूल सिद्धांतों से भटकने नहीं देना चाहिए। पत्रकारिता में सनसनी फैलाने के अस्वस्थ तौर तरीकों से बचा जाना चाहिए। श्री नायडू ने पत्रकारों के लिए न्यूतम शैक्षणिक योग्यता तय करने की वकालत करते हुए कहा कि पत्रकारिता में मानदंडों और नैतिक मूल्यों का पालन किया जाना बेहद जरूरी है। इनके साथ किसी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने पत्रकारों के लिए एक निश्चित आय सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि पत्रकारिता एक महान पेशा है। ऐसे में पत्रकारों को इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि वह लोगों तक निष्पक्ष और सही खबरें पहुंचाएं। उपराष्ट्रपति ने पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताते हुए कहा कि हर काल में पत्रकारिता एक मिशन रही है । जिसने समाज के खिलाफ ताकतों से हमेशा संघर्ष किया है। उन्होंने कहा कि लेकिन आज यह पेशा अपना आदर्श खोता जा रहा है। पत्रकारिता पर व्यावसायिकता और अन्य चीजें हावी होती जा रही है। हालत यह हो गई है कि ताजा घटनाक्रमों को सही तरीके से जानने के लिए लोगों को कम से कम चार पांच बड़े अखबार पढ़ने पड़ते हैं। टीवी चैनलों के साथ भी ऐसा ही है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। इससे लोगों तक खबरें सही तरीके से नहीं पहुंच पा रहीं । उन्होंने कहा कि आज के दौर की आधुनिक पत्रकारिता सनसनीखेज खबरें परोसने , पेड न्यूज और न्यूज तथा व्यूज के बीच घालमेल करने के चक्रव्यूह में फंस गई है। उन्होंने मीडिया संगठनों से कृषि सहित ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करने का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें व्यवस्था की खामियों को उजागर कर जवाबदेही को प्रोत्साहित करना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि अखबारों को चाहिए कि वे नकारात्मकता पर ध्यान देने की अपेक्षा विकास गतिविधियों से जुड़ी खबरों को महत्व दें और कृषि,शहरों और गांवों के बीच की असमानता,जलवायु परिवर्तन,लैंगिक समानता, गरीबी महिला सुरक्षा, तेजी से होते शहरीकरण का प्रभाव, निरक्षरता तथा स्वास्थ सेवाओं से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता दें। इस अवसर पर केरल के राज्यपाल न्यायमूर्ति पी सथशिवम तथा राज्य के कई मंत्री और सांसद तथा विधायक भी मौजूद थे।