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अध्यापकों के ट्रान्सफर निरस्त अब मास्टर माइंड की होनी चाहिए एफआईआर

अध्यापकों के ट्रान्सफर निरस्त अब मास्टर माइंड की होनी चाहिए एफआईआर

31 धन 10 बराबर 41 अभी 14 शेष

सिवनी। गोंडवाना समय।
जिला पंचायत कार्यालय के तत्कालीन सीईंओ स्वरोचित सोमवंशी,मास्टर माइंड ओमेगा पाल सहित दलाल के रूप में काम करने वाले बीएसी और बीआरसी की टीम ने मिलकर ट्रायवल और एजुकेशन विभाग के 55 अध्यापकों के नियम और नीति के विरूद्ध किए गए स्थानांतरण में 31 प्लस 10 कुल 41 अध्यापकों का स्थानांतरण निरस्त कर दिया गया है। जिसमें आरोपों से घिरे हुए तत्कालीन सीईओ स्वरोचित सोमवंशी ने चोरी-छिपे 10 अध्यापकों के स्थानांतरण के आदेश को निरस्त किया था। वहीं 31 अध्यापकों के स्थानांतरण को जिला पंचायत सीईओ श्रीमति मंजूषा विक्रांत राय ने निरस्त कर दिया है लेकिन अभी भी 14 अध्यापकों के स्थानांतरण होना शेष रह गए हैं। वहीं शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले सीईओ सहित ट्रान्सफर के खेल में शामिल रहे मास्टर माइंड अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर पूरे मामले की जांच कराई जानी चाहिए और दोषियों को सलाखों के पीछे भेजा चाहिए ताकि इस तरह का फर्जीवाड़ा दोबारा न किया जा सके।

किसने बनाए दस्तावेज, किसकी मेल आईडी से जारी हुए आदेश

जिला पंचायत सीईओ श्रीमति मंजूषा विक्रांत राय ने भले ही मामले को गंभीरता से लेते हुए 31 अध्यापकों के स्थानांतरण निरस्त कर दिए हैं लेकिन अभी भी लोगों के जहन में सवाल गूंज रहा है कि ट्रान्सफर का खेल किसने रचा था,किसने ट्रांसफर के दस्तावेज बनाए,किस अधिकारी-कर्मचारी ने फाईल को तत्कालीन सीईओ स्वरोचित सोमवंशी के पास चलाई और फिर किस मेल आईडी से अध्यापकों को ट्रांसफर के फर्जी आदेश जारी किए गए यह अभी भी रहस्यमय बना हुआ है और आमजनता ही नहीं बल्कि जिला पंचायत,शिक्षा विभाग और ट्रायवल विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी जानने के लिए बेताब हैं कि ट्रांसफर के खेल में कौन-कौन मास्टरमाइंड शामिल हैं।

पहले फर्जीवाड़ा अब स्टे के लिए सलाह दे रहे मास्टरमाइंड

शासन के आदेशों के खिलाफ जाकर दलाल बने बीएसी,बारसी के माध्यम से पैसे लेकर फर्जीवाड़ा करने वाले जिला पंचायत के मास्टरमाइंड परियोजना अधिकारी और एक आॅपरेटर पैसे लौटाने से बचने के लिए आदेश निरस्त किए गए अध्यापकों को स्टे लेने की सलाह दे रहे हैं यानी अब वे अपने ही अधिकारी के आदेशों के खिलाफ अध्यापकों को भड़का रहे हैं। ऐसे में देखना ये है कि क्या जिला पंचायत की सीईओ श्रीमति मंजूषा विक्रांत राय जिला पंचायत कार्यालय की साख खराब करने वाले शातिर अधिकारी-कर्मचारियों पर कब तक कड़ी कार्रवाई करती हैं यह आने वाला समय बताएगा।

इनके आदेश निरस्त, सकते में अध्यापक

जिला पंचायत कार्यालय द्वारा जारी किए निरस्त आदेश में वरिष्ठ अध्यापक श्रीमति मधु नामदेव, श्री प्रेम श्रीवास्तव, अध्यापक श्रीमति गुणंदी टेम्भरे, शिक्षक संदीप कुमार मिश्रा, अध्यापक श्रीमति सरिता कटरे, सहायक अध्यापक श्रीमति टीकेश्वारी राहगडाले, वरिष्ठ अध्यापक नंद किशोर पंद्रे, अध्यापक श्रीमति शिल्पा साहू, अध्यापक सुषमा कुशमरिया, वरिष्ठ अध्यापक मनोज कुमार शिण्डे, अध्यापक श्रीमति लता परते,अध्यापक राजीव कुमार गनवीर, अध्यापक लोकेश कुमरे, सहायक अध्यापक श्रीमति रश्मि ठाकुर, वरिष्ठ अध्यापक चन्द्रशेखर गुप्ता, सहायक अध्यापक ज्ञानी प्रसाद ठाकुर, वरिष्ठ अध्यापक अंजुलता भलावी, सहायक अध्यापक निर्मला पटले, सहायक अध्यापक श्रीमति हेमलता बरकड़े इसी तरह अध्यापक श्रीमति ज्योत्सना शुक्ला, सहायक अध्यापक राजेश कुमार सोनी, सहायक अध्यापक कुड़ोपा, सहायक अध्यापक श्रीमति बिंदु बेलिया, अध्यापक विनोद सिंह इनवाती, सहायक अध्यापक श्रीमति शारदा पटले, वरिष्ठ अध्यापक अशोक कुमार गोमेश्वर, सहायक अध्यापक गीता सनोड़िया के पूर्व जारी आदेश निरस्त किये गये हैं।

अध्यापकों की कार्यप्रणाली पर भी खड़े हुए सवाल

कहते हैं कि शिक्षक राष्ट्र के निर्माता होते हैं। ये ही बच्चों को अच्छे संस्कार देकर सभ्य और भ्रष्टाचार मुक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं लेकिन जिस तरीके से सिवनी जिले के अध्यापकों ने पैसे देकर और गलत तरीके से स्थानांतरण करवाया था उससे उनकी शिक्षण शैली और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। अगर मान लिया जाए कि उनके परिवार की विशेष परिस्थितियां थी तो फिर पैसे क्यों दिए यह सवाल खड़ा हो रहा है। हम बता दें गोंडवाना समय अध्यापकों के स्थानांतरण के खिलाफ बिल्कुल नहीं था लेकिन जिस गलत तरीके से शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाकर और लेनदेन करके किया गया था वह बिल्कुल गलत था। गौरतलब है कि गोंडवाना समय समाचार पत्र द्वारा लगातार खबर प्रकाशित की जा रही थी। स्थानांतरण के हर पहलुओं पर नजर डालते हुए खबर प्रकाशित की जा रही थी। हालांकि इस बीच कई लोग विरोध भी जता रहे थे कि क्यों बिलोरन मचाया जा रहा है लेकिन सिस्टम को लेकर लगातार समाचार प्रकाशित किए जाते रहा जिसके चलते इस मामले को गंभीरता से लिया गया और स्थानांतरण के आदेश निरस्त कर दिए गए हैं। हालांकि 14 अध्यापकों के स्थानांतरण आदेश निरस्त होना अभी बाकी है जिसको लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि उनके आदेश भी निरस्त हो जाएंगे।











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