भाजपा के राज में बदल गया गोंडवाना एक्सप्रेस ट्रेन का नाम
निजामुद्दीन एक्सप्रेस हुआ, गोंडवाना एक्सप्रेस का नाम
जो ट्रेन पहले गोंडवाना एक्सप्रेस ट्रेन के नाम से जबलपुर से देश की राजधानी दिल्ली तक जाती थी उसका नाम बदलकर जबलपुर से हजरत निजामुददीन कर दिया गया है हम बता दे कि गोंडवाना एक्सप्रेस के नाम से चलने वाली दो रेलगाड़ियाँ जिनका नंबर 22181, 22182 था वह दोनो रेलगाड़ियाँ में गोंडवाना एक्सप्रेस मिटाकर जबलपुर हजरत निजामुद्दीम एक्सप्रेस लिख दिया गया है ।
इसका प्रमुख कारण यह है कि जबलपुर सहित इसके आसपास अनेक जिलों में गोंडवाना की संस्कृतिक विरासत और वैभवशाली इतिहास जुड़ा हुआ है गोंडवाना शासन का वैभवशाली प्राचीन इतिहास गोंडवाना गढ़-गढ़ा जबलपुर रहा हैं । इसी आधार पर जबलपुर से देश की राजधानी दिल्ली तक जाने वाले इन रेलगाड़ियों का नाम जबलपुर ह.निजामुददीन गोंडवाना एक्सप्रेस रखा गया था लेकिन इन रेलगाड़ियों का नाम ही बदल दिया गया है । अब सिर्फ गोंडवाना एक्सप्रेस का नामोनिशान मिटाकर जबलपुर ह.निजामुददीन एक्सप्रेस कर दिया गया है । इसके पीछे कें्रदीय रेल मंत्रालय या रेलवे विभाग के अधिकारियों की क्या मंशा है यह तो वे ही जाने परंतु इतना जरूर कह सकते है कि केंद्र में भाजपा की सरकार और मध्य प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है ।
अब चाहे हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात करें या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात करें तो यह हमें याद आता है कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मण्डला आये थे तो उन्होंने गोंडी भाषा में सर्वप्रथम बोलते हुये अपना भाषण प्रारंभ किया था वह गोंडी धर्म के देव का भी स्मरण किया था इसके साथ ही गोंडवाना शासनकाल के इतिहास को याद करते हुये और उनके राजा महाराजाओं को भी नमन करते हुये उनके मान सम्मान में उल्लेख किया था ।
अब हम मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात करें तो उन्होंने अनेकों बार गोंडवाना के इतिहास को दोहरा चुके है उनका स्मरण कर चुके है और गोंडवाना की संस्कृति, इतिहास से लेकर गोंडी भाषा, धर्म को लेकर अनेकों घोषणायें भी कर चुके है अर्थात हम यह कह सकते है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी गोंडवाना के वैभवशाली-गौरवशाली-स्वर्णिम इतिहास के बार सबकुछ पता है इसके बाद भी यदि केंद्र सरकार के अंतर्गत रेल मंत्रालय या रेलवे विभाग के द्वारा गोंडवाना एक्सप्रेस ट्रेन का नाम बदल दिया जाता है तो इसे हम क्या कहेंगे । आखिर गोंडवाना नाम को समाप्त करने का षडयंत्र या खेल किसके ईशारे पर हो रहा है, आखिर कौन नहीं चाहता है कि जबलपुर से दिल्ली तक जाने वाली ट्रेन का नाम गोंडवाना एक्सप्रेस रहे, क्या है इसका राज कौन बतायेगा ।
सामाजिक संगठन चलायेंगे अभियान
गोंडवाना के प्राचीन इतिहास के साथ आजादी के बाद से ही लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है वहीं जो भी पक्ष विपक्ष के विधायक, सांसद, मंत्री, सत्ता-शासन चलाने वाले वे गोंडवाना के इतिहास, संस्कृति, पहचान, धरोहर आँखों के सामने से मिटते हुये, अतिक्रमण होते देख रहे हैं, गोंडवाना की धरोहर को बचाने के लिए राजनितिक नेताओं से क्या उमीद की जा सकती है अब चाहे वो पक्ष का हो या विपक्ष का। गोंडवाना एक्सप्रेस ट्रेन के नाम बदले जाने को लेकर समाजिक संगठनों के द्वारा प्रधानमंत्री, रेल मंत्री को पत्र लिखने का अभियान चलाया जायेगा गोंडवाना समय के द्वारा विभिन्न समाजिक संगठनों के पदाधिकारियों से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि इसके लिये हम पत्र के साथ ज्ञापन भी सौंपने की तैयारी कर रहे है ।भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद राकेश सिंह ने भी किया मौनधारण
गोंडवाना की राजधानी कहो या गोंडवाना शासनकाल का इतिहास, परंपरा, सांस्कृतिक धरोहर, किला- महल, तालाब सहित अन्य स्थल जो आज भी गोंडवाना शासनकाल के इतिहास को प्रमाणित कर बया करने के लिये काफी है और वहीं से प्रतिनिधित्व करने वाले जबलपुर से ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह जो स्वयं सांसद है और उन्हीं के क्षेत्र में यदि गोंडवाना शासनकाल और गोंडियनजनों जिनकी जनसंख्या करोड़ों में है उनकी भावनाऐं व आस्था जो कि गोंडवाना नाम के साथ जुड़ी हुई है उसके बाद भी जबलपुर से चलने वाली गोंडवाना एक्सप्रेस ट्रेन का नाम बदल दिया जाता है और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सांसद राकेश सिंह फिर भी मौन धारण किये हुये है या उन्हें पता ही नहीं है तो इसमें क्या कहा जा सकता है या फिर वे जानबूझकर अनजान बन रहे हो अब जो भी हो परंतु इतना जरूर है कि गोंडवाना में आस्था विश्वास रखने वालों के साथ गलत हो रहा है ।
फग्गन सिंह व संपतिया उईके भी उम्मीदे टूटी
इसके साथ ही भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में जुड़े भाजपा से सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते वह मण्डला से सांसद है परंतु जबलपुर सहित गोंडवाना अंचल क्षेत्र में उनका अपना महत्व है यदि उनके रहते में भी गोंडवाना एक्सप्रेस टेÑन का नाम बदल दिया जाता है और वे इस मामले में कुछ नहीं कर पाते है या कुछ करना ही नहीं चाहते है तो इन्हें क्या कहा जायेगा हालांकि फग्गन सिंह कुलस्ते की स्थिति अभी भाजपा में उपेक्षा के रूप गिनी जा रही है उनकी न तो कोई सुन रहा है और न कोई मान रहा है उन्हें केंद्रीय मंत्री मण्डल से वैसे भी हटा दिया गया है इसलिये भाजपा से अपने आप उपेक्षित महसूस कर मजबूरी में भाजपा का दामन थाम कर चल रहे है वहीं उनके विकल्प में रूप में भाजपा ने राज्यसभा सांसद के रूप में संपतिया उईके को तैयार कर ही दिया है
लेकिन शायद उन्हें भी नहीं मालूम होगा कि गोंडवाना एक्सप्रेस का नाम बदल दिया गया है और यह भाजपा के शासनकाल में हुआ है इसकी जानकारी उन्हें है भी या नहीं इस मामले में कुछ नहीं कहा जा नहीं सकता है परंतु गोंडवाना के नाम को जिस से तरह मिटाने का षडयंत्र किया जा रहा है वह गोंडियजनों के लिये ठीक नहीं है इसके साथ ही जबलपुर में ही गोंडवाना शासनकाल की धरोहर अपने आंसू बहा रही है सौंदर्यीकरण के नाम पर लीपापोती की जा रही है उनका स्वरूप बदला जा रहा है यह कहां तक उचित है । गोंडवाना सांस्कृति स्थलों पर उनसे संबंधित महापुरूषों या बलिदानियों या वीरों की प्रतिमाओं का स्थापित नहीं किया जा रहा है वरन वहां पर अन्य प्रतिमाओं को स्थापित करने का काम किया जा रहा है जिसका विरोध गोंडियनजनों के द्वारा पूर्व में किया जा चुका है इन्हीं स्थलों पर पूर्व में मण्डला सांसद फग्गन सिंह कुलस्त को विरोध का भी सामना भी करना पड़ा है।
और दो भाजपा को वोट!! अभी तो सिर्फ नाम ही बदले हैं, कल को इतिहास बदल देंगे! आदिवासियों को "अर्बन नक्सली" तो अभी कहते हैं, आगे चलकर जानवर कहने लगें तो भी नई बात नहीं होगी! मोदी-शिवराज जैसे लोग दो शब्द गोंडी के बोलकर, आपका वोट लेते हैं और आपकी ही संस्कृति नष्ट कपते हैं!
ReplyDeleteGondwana express 2013 mein discountinue kar di gae thi...
ReplyDeleteBjp तो अस्तिन का सॉप निकला
ReplyDeleteGondwana express discontinue nahi Hui h, but Aaj bhi Jbp- Nzm k nam se chal rahi h. Yah wartman sarkar ka chhetriya logo k prati durbhawna nahi to kya h? Iske pahle gondwana utsav ko continue nahi Kiya gaya,kyon? Jaise baghelkhand, bundelkhand h.waise hi yah chhetra gondwana h. Yah identity teeno chhetra ki boli me nihit h. Mahakoshal nam k koi boli nahi h.yah to sarasar undekha nhi to kya h? Chhetriya logon ki illiteracy ki itni badi keemat! Jag gondwana!Jag.....
ReplyDeleteDimag kharab ho gya bhai ye bjp walo ko to hmari culture ko mitane me lg gyi h kabhi kahta h ki india me aadiwasi nhi h to kabhi aadiwasiyon ko cancer wali chappal bantti h
ReplyDeleteबहुत गलत हुआ ।।मै ईसका विरोध करथा हू ।।
ReplyDeleteBjp
ReplyDeletePoora desh mitayega
Bjp kha gya gondwana express ka name
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