लोक तांत्रिक व्यवस्था का महान हीरो देश का मतदाता
हरी सिंह मरावी चीफ ब्यूरो डिण्डोरीडिण्डौरी। गोंड़वाना समय।
भारतीय संविधान ने धर्म निरपेक्षता का सिद्धांत मानते हुए और व्यक्ति की महत्ता को स्वीकारते हुए, अमीर गरीब के अंतर को, धर्म, जाति एवं संप्रदाय के अंतर को, तथा स्त्री पुरुष के अंतर को मिटाकर प्रत्येक वयस्क नागरिक को देश की सरकार बनाने के लिये अथवा अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करने के लिये मत देने का अमूल्य अधिकार प्रदान किया है। संविधान लागू होने के बाद से लेकर आज तक भारत देष की जनता ने अपने मताधिकार के पवित्र कर्तव्य का समुचित रूप से पालन करके प्रमाणित कर दिया है कि भारत की जनता का जनतंत्र में पूर्ण आस्था है। इस दृष्टि से भी भारतीय जनतंत्र का विशेष महत्व है। जिसके कारण विष्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव हासिल है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 325 व 326 के अनुसार प्रत्येक वयस्क् नागरिक को (जो पागल या अपराधी न हो) मताधिकार प्राप्त है। किसी नागरिक को धर्म, जाति, वर्ण, संप्रदाय अथवा लिंग भेद के कारण मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। राजनीति के इतिहास में मताधिकार का हक आया, तो एक नई क्रांति हुई। इस क्रांति को लाने में रूसो जैसे विद्वानों की भूमिका तो थी, किन्तु उस समय के व्यापारियों की भूमिका कम नही थी। हर देष में किसी ना किसी तरह कारखाने लगने लगे थे, कृषि में पैदावार बढ़ने लगी थी, पड़ोसी देश के व्यापारियों को माल बेचने से आर्थिक क्रांति,लाभ के व्यवसाय का रास्ता खुल गया था। लेकिन एक समस्या थी कि देश के व्यापारी को दूसरे देश के व्यापारियों से मिलने का रास्ता बन्द था। प्रत्येक राजा के राज्य की सीमाओं पर राजा के सिपाहियों का चुस्त पहरा हुआ करता था। यह पहरा व्यापारी की मुनाफाखोरी लाभ के व्यवसाय में बाधक बन रहा था। इसी अवस्था में रूसो की सोशल कॉन्ट्रैक्ट नामक पुस्तक आई, जिसने राज्य के बारे में एक नई अवधारणा को जन्म दिय कि राजा तो पैदा होता है, लेकिन जरूरी नही कि राजा के घर में ही पैदा हो। इस विचार ने राजदरबाारियों एंव राज्य के निवासियों को यह सपना दिखाया कि उनके घर में पैदा हुआ बच्चा भी राजा हो सकता है। इस विचार ने व्यापारियों को यह सपना दिखाया कि व्यापारियों को परादेशीयों से सीधा सम्बन्ध बनाने की स्वतंत्रता देने वाले किसी भी व्यक्ति को राजा बनाया जा सकता है। उसे चुनाव लड़ाकर जितवाया जा सकता है और यह प्रचारित किया जा सकता है कि चुनाव जीतने वाला सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्ति है, और वह जनता के हितों का वास्तविक प्रवक्ता है. और यही व्यक्ति जन्मजात राजा है। वैचारिक क्रांति और आर्थिक क्रांति के इस मिश्रित घटना से धीरे धीरे राजशाही का अंत हो गया। दो देशों के व्यापारियों का आपसी मेल-जोल आसान हो गया। चुनावी लोकतंत्र आ गया। प्रजा के बेटे को राजा बनने का रास्ता खुल गया । राजनैतिक सत्ता वंशवाद से मुक्त हो गई, वे लोग आजाद हो गए, जो चुनाव लड़ सकते थे, या जो किसी दूसरे को चुनाव लड़वाकर उसे सत्ता की बागडोर सौंप सकते थे और सत्ता की वास्तविक बागडोर अपने हाथ में रख सकते थे। यह घटना अठ्ठारहवीं शताब्दी के समय की है। मतदान निर्णय लेने या अपना विचार प्रकट करने की एक विधि है जिसके द्वारा कोई समूह जैसे कोई निर्वाचन क्षेत्र या किसी मिलन में बहस के बाद कोई निर्णय ले पाते हैं। मतदान की व्यवस्था के द्वारा किसी वर्ग या समाज का सदस्य राज्य की संसद या विधानसभा में अपना प्रतिनिधि चुनने या किसी अधिकारी के निर्वाचन में अपनी इच्छा या किसी प्रस्ताव पर अपना निर्णय प्रकट करता है। इतिहास को और देखा जाए तो धार्मिक रूप से विशेषत: बौद्ध संघों में, निर्वाचन के निश्चित नियमों का पालन किया जाता रहा। मतदान की यह प्रक्रिया तीन प्रकार से होती है, यह हम इतिहास से समझ सकते है, जैसे गुप्त मतदान, कान में कहकर मत प्रकट करने की विधि, तथा खुला मतदान। लोकतांत्रिक व्यवस्था में विष्व के सभी देष धीरे धीरे राज व्यवस्था को छोड़कर प्रजातंत्र गणतंत्र व्यवस्था में शामिल होने लगे, बड़ी बड़ी क्रांतियां हुई सैकड़ों वर्ष लगे लाखों लोग बलिदान हुए, राजनीतिक षणयंत्र के अनेको लोग षिकार हुए तब कंही जाकर लोग गुलामी की जंजीरों को तोड़ सके। गुलामी की जंजीरों को तोड़कर स्वतंत्र देश में अपना एक संविधान बना कर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम किया जो निरतंर जारी है, और इस लोकतांत्रिक व्यवस्था के महान हीरो देश का मतदाता है।