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क्रांतिवीर बाबुराव शेडमाके की वीरगाथा

क्रांतिवीर बाबुराव शेडमाके की वीरगाथा

नागपूर। गोंडवाना समय। वीर बाबुराव शेडमाके इनका जन्म 12 मार्च 1833 को अहेरी घोट के जमींदार पिता पुलेश्वर और माता जुरजाकुवर के घर हुवा । वीर बाबुराव शेडमाके अपनी स्वाधीनता के लिए अंग्रेज अपने देश की मिटटी, लकड़ी, बॉस, खनिज, लोहा, मग्निज, कपास, अनाज भी ले जा रहे है इसका जोरदार विरोध किया. इसलिए गांव गांव युवा सैनिको की टोली बनाना चालू किये और अपने इस टोली का नाम रखा जंगोम दल, उन्होंने चांदा राज्य के शोषण और अत्याचार की जानकारी सथिदारो को बताया और इनको अंग्रेजो से मुक्त करने की योजना पर कार्य करना चालू किया । जगह जगह पूरी सेना के साथ अपना अधिकार करने लगे. यह आन्दोलन सिर्फ दक्षिण गोंडवाना में शुरू हुआ अगर यह आन्दोलन मध्य गोंडवाना और उत्तर गोंडवाना, छत्तीसगढ़ में शुरू होता तो अंग्रेजो को सफलता कभी नहीं मिलती। बाबुराव के स्वयं के परिवार के ही लोगो ने उसकी अद्भुत क्षमता और शक्ति की जानकारी दुश्मनों को दे दी तथा उन्हें धोखे से भोपाल पटनम और के जंगल में अंग्रेज सैनिको ने पकड़ लिया । चांदा राज्य का वीर बाबुराव शेडमाके अंग्रेजो के चुंगुल में फस गया और उनपर राज्य विद्रोह का देशद्रोही बताकर चांदा के जेल प्रांगन में पूरी प्रजा को बुलाकर उनके सामने पीपल के झाड़ में लटकाकर सन 21 अक्टूबर 1858 को फांसी दे दी गयी । 
घर में लगी आग घर के चिराग से  घर में आग लगी घर के चिराग से, गोंडवाना के योधा को फासी दी गयी अपने आपसे इतिहास के पन्नो में इन शहीदों को सम्मान नहीं दिया गया । चंद्रपुर के घोसरी गाव में हुवे युद्ध में बड़ी संख्या में अंग्रेज मारे गए थे और वीर बाबुराव शेडमाकेजी की जीत हुई थी। इनकी याद में आज पुरे चंद्रपुर के कारागृह में हजारो गोंड सगा समाज २१ अक्टूबर को जमा होकर शहादत दिवस मनाते है और वीर बाबुराव शेडमाके इनके शहादत दिन पर श्रधा सुमन अर्पित करते है वहीं गोंडवाना में ऐसे ही वीर योधाओ को मारा गया । ऐसे वीर योधा से हमें शिक्षा प्रेरना लेना होंगा । अपने युवा तक गोंडवाना का सच्चा इतिहास पोहचना होगा । 






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