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भाजपा जिताऊ नहीं हराऊ चेहरों पर फिर दांव लगाने हो रही तैयार

अमित शाह जी 

भाजपा सिवनी जिले में जिताऊ नहीं हराऊ चेहरों पर फिर दांव लगाने हो रही तैयार  

सिवनी में भाजपाईयों का चुनावी स्वार्थ खुलकर आ रहा सामने

मूलभाजपाई और स्थानीय की नौटंकी कम कर सकती है सीट संख्या

सिवनी। गोंडवाना समय।
मध्य प्रदेश में सत्ता करने वाली करने वाली भाजपा का चुनावी प्रदर्शन सिवनी जिले में वर्ष 2013 के चुनाव में तीन सीट में हार के परिणाम के साथ सामने आया था और एक सीट बरघाट से कैसे भाजपा की लाज बची थी यह भाजपाई ही अच्छे से जानते है । उसके बाद भी वर्ष 2018 के चुनाव में सिद्धांतों और अनुशासन के लिये अपनी पहचान रखने वाली भारतीय जनता पार्टी में सिवनी जिले में चारों विधानसभा के लिये उम्मीदवारी जताने के लिये जिस तरह से खुलकर विरोध के स्वर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर ठीकरा फोड़ा जा रहा है । मध्य प्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने के लिये भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने स्वयं मध्य प्रदेश में मोर्चा संभाला हुआ है और इसलिये एक एक सीट भाजपा के राष्ट्रीय व प्रदेश संगठन के लिये महत्वपूर्ण है परंतु संगठन की रीति नीति और सिद्धांतों को जिस तरह से विधानसभा चुनाव लड़ने के दावेदार गली-गली, शहर-शहर, चौक-चौराहों से लेकर गांव-गांव तक लेकर जा रहे है अर्थात विधानसभा के उम्मीदवार बनने के लिये आपसी खींचातानी कर रहे है उससे भाजपा को चुनावी मैदान में कैसे सफलता मिलेगी यह तो चुनावी परिणाम में सामने आ ही जायेगा । अपनी कुशल रणनीति से केंद्र में सरकार बनाने वाले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने साफ और दो टूक शब्दों में कह दिया है कि जिताऊ चेहरे को ही भाजपा उम्मीदवार बनायेगी लेकिन वहीं सिवनी जिले में हारे हुये चेहरों को तव्वजों देकरचुनावी मैदान में उतरने के लिये अपने समर्थकों के साथ जिताऊ चेहरों के नंबर कम कराने और पार्टी व मतदाताओं के बीच में भ्रामक प्रचार करने से भी परहेज नहीं कर है। कार्यकर्ताओं की पार्टी कही जाने वाली भाजपा में चुनाव लड़ने का स्वार्थ लिये नेता मूल भाजपाई व स्थानीय प्रत्याशी को लेकर गांव-गांव अलख जगाने का काम कर रहे है । इससे भाजपा की छबी और साख तो ही गिर ही रही है साथ में भाजपा का अनुशासन सिद्धांतों की हकीकत के विपरीत परिस्थिति भी दिखाई दे रही है । जिसके कारण भाजपा के पितृपुरूषों जिन्होंने भूखे-प्यासे और कम साधन संसाधन में मेहनत कर आज देश की सत्ता से लेकर देश के अधिकांश राज्यों पर भाजपा का परचम लहराया है पर सिवनी जिले में विधायक बनने की लालसा पाले हुये नेताओं के स्वार्थों के चलते भाजपा का परिदृश्य बदल रहा है । भाजपा के द्वारा रायशुमारी भले ही बंद लिफापे में कैद करके ली गई हो परंतु जो खुमारी एक दूसरे पर विधायक की उम्मीदवार या विधानसभा का पार्टी से टिकिट प्राप्त करने के लिये खुलकर निकाली जा रही है वह भाजपा के लिये शुभ संकेत नहीं कहे जा सकते है । वर्ष 2013 के चुनाव में सिवनी जिले से तीन विधानसभा सीट का चुनाव हारने वाले भाजपा के नेताओं को हराऊ चेहरे पर दांव लगाने फिर लामबंद हो रहे है और जिताऊ चेहरों को जानबूझकर नजरअंदाज किया जाने का प्रयास किया जा रहा है जबकि भाजपा को प्रदेश में सरकार बनाने के लिये एक एक सीट जीतने का लक्ष्य बनाकर रणनीति बना रही है तो सिवनी जिले में चुनाव लड़ने को आतुर नेता टिकिट सही उम्मीदवार को नहीं मिलने पर सीधे सीधे निपटाने की रणनीति बना रहे है अर्थात सीधे से शिवराज को चौथी पारी पर राज करने और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कुशल रणनीति पर बाधक बनने का खेल खुलकर खेल रहे है । भाजपा में सभी जानते है कि संगठन का जो फैसला होता है उसे सबको मानना होता है परंतु टिकिट दावेदार जिस तरह से खुलकर इस बार संगठन की बात मानने से इंकार कर रहे है वह कैसे चुनावी परिणाम लायेगा ?

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