मध्य प्रदेश का हर 881 वां व्यक्ति सरकार के खिलाफ कोर्ट की चौखट पर
शिवराज सरकार के फैसलों से खुश नहीं लोग
80 हजार से ज्यादा मुकदमों का सामना कर रही शिवराज सरकार
अदालतों में पहुंचकर सरकार के फैसलों का किया विरोध
कोर्ट में 36 प्रतिशत मामले गलत और मनमाने फैसलों के कारण
डॉ. अनिल सिरवैया,भोपाल। गोंडवाना समय । सुशासन के लाख दावे करने वाली प्रदेश की शिवराज सरकार के कामकाज से प्रदेश के लोग खुश नहीं हैं। खासकर उन फैसलों से जो सरकार ने एक तरफा लिए। इन फैसलों से नाराज होकर सरकार के खिलाफ अदालत जाने वाले लोगों की संख्या हर साल बढ़ रही है। दो चार हजार नहीं, ऐसे 80 हजार से ज्यादा मामले केवल म प्र हाईकोर्ट और उसकी बैंचों में लंबित हैं, जहां प्रभावित लोगों ने याचिकाएं लगाई हैं। इस तरह के अधिकांश मामलों में सरकार को अदालत में हार का सामना करना पड़ता है। इन मामलों के अध्ययन में सामने आया है कि 36 प्रतिशत मामले सरकार की मनमानी, गलत प्रशासनिक फैसलों के कारण अदालत में पहुंचे। अक्टूबर 2017 की स्थिति में सरकार के खिलाफ केवल हाईकोर्ट में 85108 मामले थे। यानी प्रदेश का हर 881 वां व्यक्ति सरकार के खिलाफ कोर्ट जा पहुंचा है।
राज्य सरकार के खिलाफ विभिन्न अदालतों में चल रहे मुकदमों को लेकर राज्य सरकार के संस्थान अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल के अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में हाईकोर्ट में लंबित मामलों की केस स्टडी की गई है, जिनके आधार पर संस्थान ने निष्कर्ष निकाल कर कम से कम मुकदमेबाजी के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं। इन सिफारिशों में कहा गया है कि सरकार कोई भी निर्णय लेने से पहले उससे संबंधित कानूनों और विधियों का परीक्षण करते हुए मनमाने फैसलों से बचना चाहिए। मुकदमेबाजी से बचने के लिए सरकार ने राज्य की मुकदमा नीति भी बनाई है, लेकिन इसके बावजूद सरकार के खिलाफ अदालतों में जाने वाले लोगों की संख्या कम नहीं हो रही।