अमित शाह जी कैसे विश्वास और कहां तक भरोसा करेंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बातों पर जनजातिय समुदाय
प्रधानमंत्री ने कहा था जनजातियों के अधिकारों की रक्षा की जायेगी छीनने वालों को बख्शा नहीं जायेगा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चाहे कार्निवाल का कार्यक्रम हो या अन्य जनजातिय समुदाय के कोई भी कार्यक्रम हो उसमें उन्होंने अपने वक्तव्यों पर पूरजोर तरीके से आादिवासी जनजातिय समुदाय का हितेषी होने का दावा भारतीय जनता पार्टी की सरकार के माध्यम से जताया है यहां तक कि उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का अधिकार रहेगा । प्राकृतिक संसाधनों का दोहन आदिवासियों की कीमत पर नहीं होगा इस तरह जनजातियों के हक अधिकार को कोई नहीं छीन पायेगा उन्हें केंद्र सरकार हर स्तर पर सुरक्षा प्रदान करेगी लेकिन मध्य प्रदेश में जिस तरह से जनजातियों को संवैधानिक हक अधिकारों के साथ छेड़छाड़ कर छीनने का काम किया जा रहा है उससे जनजातियों का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बातों पर से विश्वास व भरोसा उठता जा रहा है । जनजातिय वर्ग जो कि अपने संवैधानिक हक अधिकारों को लेकर जागृृत करने का काम कर रहा है तो उन्होंने कानूनी दावं पेंच फंसाकर दबाने चुपचाप रहने के लिये मजबूर किया जा रहा है । जनजातिय बाहुल्य क्षेत्रों में आदिवासी जनजातिय समुदाय को संविधान में जो प्रावधान या जो अधिकार प्रदत्त कराये गये है उनका पालन या मानने से भी रोका जा रहा है । जबकि जनजाति समुदाय सिर्फ और सिर्फ संवैधानिक हक अधिकारों की बात कर रहा है जो उन्हें संविधान में प्राप्त भी है अलग से कोई या विशेषाधिकार की बात जनजातिय समुदाय नहीं कर रहा है लेकिन उसके बाद भी उन्हें संविधान विरोधी करार देकर कानून की चौखटों तक घसीटा जा रहा है । यह कहां तक सही है इसका निर्णय या न्याय करने के लिये भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को आंकलन करना होगा । डिंडौरी में आज अमित शाह जी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जनजातिय सम्मेलन में आ रहे है जनजातिय समुदाय उनकी अगवानी में पलक बिछाकर स्वागत करने का आतूर है जहां पर जबलपुर संभाग के जनजातिय समुदाय के भाजपाईयों का विशेष समावेश होगा । इसके लिये मण्डला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को भी जिम्मेदारी दी गई है साथ में ओम प्रकाश धुर्वे भी उक्त आयोजन को सफल बनाने के लिये भरसक मेहनत प्रयास कर रहे है । मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हमेशा यही कहते है कि मध्य प्रदेश के खजाने में सबसे पहला हक यदि किसी का है तो वह आदिवासी जनजातिय समुदाय का है हालांकि खजाने में से जनजातिय वर्ग को विकास के लिये कितना मिल रहा है और कितना योजना को चलाने वाले अधिकारियों के जेब में जा रहा है यह खंगाला यदि ईमानदारी से गया तो वास्तविकता सामने आ सकती है । केंद्र सरकार ने भी जनजातियों के लिये बजट नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बढ़ाया है लेकिन उसका क्रियान्वयन धरातल में कितना हुआ या सार्थक कहां तक हुआ है इसका भौतिक सत्यापन में जमीन आसमान का अंतर मिल सकता है । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगभग दो वर्ष पहले देश की राजधानी दिल्ली में देश के जनजातिय समुदाय को भरोसा दिलाकर विश्वास के साथ 25 अक्टूबर 2016 को दिल्ली में आयोजित कार्निवाल में जनजातिय समुदाय के हक, अधिकार, जल, जंगल, जमीन, रक्षा की बाते कहीं थी परंतु पी एम नरेन्द्र मोदी की बातों का असर पर आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेश की जमीन पर कहो या धरातल तक अमलीजामा अभी तक नहीं पहनाया गया है वरन उनकी बातों को न मानकर उलटा जनजातिय वर्ग को उनके हक, अधिकार, जल, जंगल, जमीन से दूर किया जाने का काम ज्यादा हो रहा है उनके संवैधानिक अधिकारों को छीना जा रहा है । मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले है और मध्य प्रदेश आदिवासी जनजातिय बाहुल्य प्रदेश है यहां पर सरकार बनाने बिगाड़ने में जनजातिय वर्ग के मतदाताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहता है इसी को ध्यान में रखते हुये भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाजपा की मध्य प्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने के लक्ष्य के साथ जनजातिय सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहे है उन्होंने मध्य प्रदेश में अपनी शुरूआत आदिवासी बाहुल्य अंचल झाबुआ से किया था अब वह आज डिंडौरी की सरजमीन पर जनजातिय सम्मेलन में शिरकत करने वाले है और जनजातिय वर्ग को भाजपा की केंद्र व मध्य प्रदेश सरकार की नीतियों के सहारे फिर भाजपा में विश्वास करने के लिये रणनीति का मंत्र भी कार्यकर्ताओं पदाधिकारियों को सम्मेलन में देंगे लेकिन जनजातिय वर्ग भाजपा में और प्रधानमंत्री की बातों पर कहां तक कैसे विश्वास करेगा और क्यों इस पर मंथन-चिंतन करना भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के लिये इसलिय जरूरी है क्योंकि क्षेत्रिय या प्रदेश के जनजातिय भाजपाई पदाधिकारी जो सत्ता संगठन का सुख तो भोग रहे है लेकिन जनजातिय वर्ग के हित अधिकारों के लिये बनाई जाने वाली केंद्र व मध्य प्रदेश सरकार की योजनाओं को धरातल में पहुंचाने में बहुत पीछे है जो आने वाले समय में भाजपा को पीछे भी ढकेल सकता है ।
जनजातियों की जमीन छीनने का अधिकार किसी को नहीं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि जनजातीय समुदायों को उनका हक मिलना चाहिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवल में 25 से 28 अक्टूबर 2016 का चलने आयोजन का शुभारंंभ करते हुये दिल्ली में कहा था कि जनजातीय समुदाय को उनका हक मिलना चाहिए, ये हमारी प्राथमिकता है। यहां तक कि पीएम मोदी ने कहा कि वनों को हमारे जनजातीय समुदायों ने बचाया है। उनकी जमीन को छीनने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूर जंगलों में रहकर भी ये समुदाय कितना देश के लिए योगदान दे रहे हैं ये दिल्ली के लोग अनुभव करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय समुदायों की समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि जंगल में जिस तरह से ये परेशानियों को झेलकर भी जिंदगी जीने का माद्दा रखते हैं ये वाकई काफी अहम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदायों ने अभावों और परेशानियों के बावजूद हर पल खुशी, कदम से कदम मिलाकर चलना सिखाया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में विविधताओं को संजोए रखना और इन्हें भारत की एकता के रूप में प्रदर्शित करना ही देश के ताकत को बढ़ाता है।
देश भर के 20 हजार प्रतिनिधियों ने किया था शिकरत
राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवाल, 2016 में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 25-28 अक्?टूबर, 2016 को प्रथम राष्ट्रीय जनजातीय कार्निवाल का सफल आयोजन किया। प्रधानमंत्री ने मुख्?य अतिथि के रूप में इस अवसर की शोभा में चार चांद लगाए और 25 अक्?टूबर, 2016 को इंदिरा गांधी इनडोर स्?टेडियम, नई दिल्?ली में कार्निवाल का उद्घाटन किया था । उद्घाटन समारोह के दौरान देश भर से आई सैंकड़ों जनजातीय कलाकारों की मंडलियों ने परंपरागत वेशभूषा में कार्निवाल परेड में भाग लिया। देश भर के लगभग 20,000 प्रतिनिधियों ने भी इस समारोह में शिरकत की।
जल, जंगल, जमीन पर रहेगा आदिवासियों का अधिकार
इस दौरान पी एम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश के तमाम राज्यों में रहने वाले लाखों आदिवासियों के मौलक अधिकारों की रक्षा और जल, जंगल, जमीन पर उनके हक को बरकरार रखने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सरकार लगातार काम कर रही है। तमाम आदिवासी समूहों द्वारा इस संबंध में शिकायत की जाती रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद जनजातीय समूहों को भरोसा दिलाया है कि उनके अधिकारों की पूरी रक्षा की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा है कि विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल जरूरी है, लेकिन प्राकृतिक संसाधनों का दोहन आदिवासियों की कीमत पर नहीं होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा है कि जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों का अधिकार रहेगा क्योंकि वे उसकी उपासना करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जनजातियों के विकास को गति देने के लिए पिछले वर्ष जनजातीय बहुल इलाकों में एक सौ से ज्यादा विकास केंद्र खोलने की घोषणा भी की थी। इस योजना पर काम चल रहा है, इन विकास केंद्रों में शिक्षा, अस्पताल जैसी आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध रहेंगी।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय के बजट में बढ़ोतरी
केंद्र में मोदी सरकार ने आदिवासियों के उत्थान को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए वर्ष 2017-18 के बजट में जनजातीय मंत्रालय के बजट में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। केंद्र सरकार ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय को कुल 5329 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 4847 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों में अनुसूचित जन-जातियों के कल्?याण के लिए भी बजट आवंटन में 30 प्रतिशत से अधिक वृद्धि की है। इस मद के लिए पिछले वित्?त वर्ष के 24,005 करोड़ रुपये की तुलना में मौजूदा वित्?त वर्ष के लिए 31,920 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। अनुसूचित जनजाति विद्यार्थियों के लिए उच्?चतर शिक्षा संबंधी नेशनल फेलोशिप और स्?कॉलरशिप हेतु बजट में 140 प्रतिशत की वृद्धि की गई। इसके लिए वर्ष 2016-17 के रुपए 50 करोड़ की तुलना में मौजूदा वित्?त वर्ष के लिए 120 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था ।