शिवराज पर बुधनी में अर्जुन तो प्रदेश में हीरा, आनंद, आशीष, देवाशीष पड़ेंगे भारी
विधानसभा चुनाव में शिवराज को घेरेंगे ये पांच सियासी चेहरे
भोपाल। गोंडवाना समय। मध्य प्रदेश में विधानसभाा चुनाव नवंबर माह में होना है इसके लिये राजनैतिक दलों ने अपनी अपनी चुनावी तैयारी को अंतिम चरण में रखते हुये सह और मात का खेल देने के लिये अपनी अपनी बिसात बिछाने के लिये हर संभव कोशिश की जा रही है । चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के लिये मध्य प्रदेश में जनआशीर्वाद मांगने निकले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मात देने के लिये पहले तो अपने ही विधानसभा क्षेत्र बुधनी में युवा नेता अर्जुन आर्य से सिकस्त का डर सता रहा है जो मुद्दे अर्जुन आर्य ने शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र में उठाये है वह सीधे मजदूर, किसान, आदिवासी और जनता से जुड़े हुये है । जिनकी मांग मुख्यमंत्री के अपने ही विधानसभा क्षेत्र में आश्वासन के आस में दबी पड़ी हुई है । अर्जुन आर्य ने गांव-गांव घूमकर पाव-पांव वाले शिवराज भैया की नैया में सेंध लगाने का काम करके मुख्यमंत्री की जीत में संदेह को जन्म दे दिया है हालांकि यह भी है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बुधनी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव में मात दे पाना मुश्किल तो है परंतु जनता के बीच में जो मुद्दे अर्जुन आर्य रखने में कामयाब हुये है गंभीर समस्याओं को समाधान नहीं हो पाने का प्रचार-प्रसार जिस तरीके और बेबाकी से अर्जुन आर्य ने निरंतर रखने का प्रयास किया है वह प्रभाव जरूर छोड़ेगा शिवराज सिंह चौहान के चुनाव में इसमें भी संदेह नहीं है । अर्जुन आर्य ने बुधनी विधानसभा में किसान, मजदूर आदिवासियों की समस्याओं को लेकर भूख हड़ताल से लेकर जेल तक हवा खाने में कोई कसर नहीं छोड़ा है । इसका भी असर बुधनी विधानसभा में पड़ सकता है अब कितना प्रभाव पड़ेगा यह तो चुनावी परिणाम में सामने आ ही जायेगा जो भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है परंतु डर भी समाया हुआ है । अर्जुन आर्य को कांग्रेस ने अपने पार्टी में जगह दे दिया है जबकि वह पहले सपा में कार्य करते थे और उन्हें समाजवादी पार्टी ने टिकिट भी दिया था लेकिन उन्होंने टिकिट वापस कर दिया और कांग्रेस का दामन थाम लिया है । अब जहां एक ओर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को उनके ही गढ़ में घेरने की कोशिश हो रही है, वहीं शिवराज के लिए अब तक सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए मामलों के अहम किरदारों के जरिए अब शिवराज की घेराबंदी में कांग्रेस और विरोधी दल जुट गए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को सियासी रणभूमि में घेरने के लिए इस वक्त अगर प्रदेश में अगर सबसे अधिक किसी की चर्चा है तो वो सियासत में नई एंट्री करने वाले युवा नेताओं की है। सूबे में तेजी से उभरे ये युवा नेता आज हर मोर्चे पर शिवराज को चुनौती दे रहे हैं।
अर्जुन आर्य : चुनाव के समय मुख्यमंत्री शिवराज को उनके ही गढ़ में सबसे बड़ी चुनौती मिलती दिखाई दे रही है। शिवराज के गृहनगर बुधनी में लंबे समय से सक्रिय युवा नेता अर्जुन आर्य चुनाव के समय अचानक से चर्चा में आ गए हैं। बुधनी में लंबे समय से आंदोलन चलाने वाले अर्जुन आर्य के आंदोलन को दबाते हुए चुनाव से ठीक पहले पुलिस ने गिरफ्तार कर भोपाल की सेंट्रल जेल भेज दिया। उसके बाद अचानक से पूरे मामले को सियासी मोड़ देते हुए अर्जुन आर्य से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने सेंट्रल जेल में मुलाकात कर सूबे की सियासत गर्मा दी। इसके बाद अर्जुन आर्य ने अब कांग्रेस हाईकमान से टिकट की मांग करके मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इससे पहले अर्जुन आर्य को बुधनी से समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन अर्जुन आर्य ने ये कहते हुए सपा का टिकट लौटा दिया था कि मुख्यमंत्री शिवराज को चुनौती अभी कांग्रेस ही दे सकती है इसलिए वे कांग्रेस के टिकट पर मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं। अर्जुन आर्य ने कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस के हाथ का दामन शनिवार को भोपाल में थाम भी लिया है ।
हीरालाल अलावा : एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज को चुनौती उनके घर में मिल रही है तो दूसरी बड़ी चुनौती शिवराज को सियासी तौर पर आदिवासी अंचल मालवा निमाड़ से आने वाले युवा नेता डॉ हीरालाल अलावा से मिल रही है। मध्यप्रदेश के सियासी पटल पर तेजी से आदिवासी चेहरे के रूप में उभरे डॉ हीरालाल अलावा के जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन जयस ने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश में अपनी पैठ व पहचान बनाई है वहीं डॉ हीरालाल अलावा के संगठन जयस ने आदिवासियों के लिए रिजर्व 47 सीटों समेत प्रदेश की 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। जयस जिन 47 आदिवासी सीटों पर अपना दावा ठोंक रहा है, उसमें से 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 32 सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी, वहीं पिछले दिनों जयस के सम्मेलन में कांग्रेस नेताओं के शामिल होने के बाद भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह की चिंता बढ़ गई होगी। जयस आदिवासी इलाकों में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा को आदिवासी विरोधी बता रहा है।
डॉक्टर आनंद राय- सूबे के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सामने अब तक अगर सबसे बड़े सियासी संकट की बात करें तो वह व्यापमं का संकट था। इस बार चुनाव में एक बार फिर व्यापमं का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया है। व्यापमं मामले का खुलासा करने वाले आरटीआई एक्टीविस्ट डॉक्टर आनंद राय चुनावी मैदान में कूद गए हैं। जयस ने इंदौर 5 से उनको अपना उम्मीदवार भी बना दिया है। सियासी गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि आनंद राय को कांग्रेस अपना समर्थन भी दे सकती है। ऐसे में ये तय है कि इस बार फिर व्यापमं को लेकर शिवराज विरोधी दल के निशाने पर आएंगे।
आशीष चतुवेर्दी- व्यापमं मामले में दूसरे सबसे एक्टीविस्ट रहे आशीष चतुवेर्दी भी चुनावी मैदान में कूदने की तैयारी कर रहे हैं। जयस ने आशीष चतुवेर्दी को ग्वालियर पूर्व से अपना उम्मीदवार बनाया है। ग्वालियर पूर्व से 2013 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार की मंत्री माया सिंह मामूली अंतर से जीती थीं। ऐसे में आशीष के चुनाव लड़ने से एक बार फिर इस सीट पर भाजपा का संकट में पड़ना तय है, वहीं आशीष के चुनाव लड़ने से ग्वालियर-चंबल में व्यापमं का मुद्दा फिर से गर्म होगा।
देवाशीष झारिया-मध्यप्रदेश में तेजी से युवा दलित चेहरे के रूप में उभरे देवाशीष झारिया ने चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल होकर भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। देवाशीष कांग्रेस में शामिल होने से पहले बसपा में यूथ आईकॉन के तौर पर पहचाने जाते थे। आशीष ने बसपा में अपनी सियासी काबिलियत का लोहा उस वक्त मनवाया था जब 6 लाख युवा बसपा से जुड़े थे। अब सूबे में बसपा से गठबंधन करने में नाकाम रहने के बाद कांग्रेस दलित वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है, जिससे भाजपा का खेल बिगड़ सकता है ।